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________________ 448 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-प्रबन्ध "अभिनन्दन पत्र'. श्री आदिजिन सेवामंडल-तखतगढ-मारवाड भाइयो / - आप सज्जनों ने हमारे यहां अजनशलाका के शुभ प्रसंग पर पधार कर रात-दिन तन-मन से जो सच्ची सेवा की है उसकी प्रशंसा करना हमारी शक्ति के बाहर है। हमारे पास एक भी ऐसा शब्द नहीं है कि जिससे हम आपके इस कार्य की किंचिन्मात्र भी प्रशंसा कर सकें, हजारों मनुष्यों के रोजाना खान-पान और वरघोडे आदि की प्रशंसनीय व्यवस्था करके आपने हमारे ही नहीं बल्कि सेंकडों गांवों के जैनसंघ के हृदयपट पर अपूर्व प्रभाव डाला है। आपकी इस निःस्वार्थ संघसेवा और कार्यक्षमता का हम हार्दिक सम्मान करते हैं, और शासनदेव से प्रार्थना करते हैं कि आपका सेवामण्डल इसी प्रकार के सेवाभाव से यशस्वी बने। __यद्यपि आपकी इस संघसेवा का बदला देना हमारी शक्ति के बाहर है फिर भी हमारा संघ आपके कार्य से खुश होकर सुवर्ण चांदी के 'सम्मान पदक' और 'अभिनन्दन पत्र' अर्पण करता है जिन्हें आप स्वीकार कर हमें आमारी करेंगे /
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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