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________________ - श्रोजैनशान-गुणसंग्रह 447 सभामण्डप में श्री सकलजनसंघ की सभा होने संबन्धी नोटिसं निकाल दिये थे जिस से समय होते ही सभामण्डप सभासदों से भर गया था। पूर्वोक्त दोनों सेवामण्डल भी अपनी अपनी वर्दी पहने हुए सभा में हाजर थे / गोल का श्रीसंघ भी समय होते ही वहां उपस्थित हो गया था। __सभा का प्रमुखपद खरतरगच्छ के आचार्य श्रीमान् धरणीन्द्रसूरिजी को दिया गया। मंगलाचरणादि होने के बाद श्री गोल के संघ की तरफ से जालोर-दरबारस्कूल के तत्कालीन हेडमास्टर साहब मुंहता किसनराजजी ने सभा बुलाने का उद्देश प्रकट किया। ___ श्री जालोरवासी कानूंगा कानमलजी रामलालजी ने प्रतिष्ठासंबन्धी कार्य का दिग्दर्शन कराने के साथ अन्य स्थानों में होने वाली प्रतिष्ठा-अंजनशलाकाओं से इस अंजनशलाका की विशिष्टता समझाई और ऐसे भारी कार्य की इस प्रकार निर्विघ्न समाप्ति होने में महाराज साहबका पुण्यप्रभाव और स्वयंसेवकों की अपूर्व संघसेवा को कारण बताया। इसके बाद गोल के संघ की तरफ से मुंहता भेरुमलजी चकील जालोरवालोंने अभिनन्दन पत्र (मानपत्र) सभा में पढ कर दोनों मण्डलों को अर्पण किये और प्रसंगोचित व्याख्यान दिया / पाठकगण के अबलोकनार्थ हम उनमें से एक अभि नन्दनपत्र को नीचे उधृत करते हैं /
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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