________________ 352 . 4 सज्झायसंग्रह . सामायिक के बत्तीस दोष की सज्झाय चोपाई शुभ गुरु चरणे नामी सीस, सामायिकना दोष बत्तीस / कहीसुं त्यां मना दश दोष, दुश्मन देखी धरतो रोष // 1 // ___ सामायिक अविवेके करे, अर्थ विचार न हइडे धरे / मन उद्वेग इच्छे यश घणो, न करे विनय वडेरा तणो // 2 // भय आणे चिंते व्यापार, फल संशय नियाणा सार / हवे वचनना दोष निवार, कुवचन बोले करे तूंकार // 3 // लइ कुंची जा घर उघाड, मुखे लवी करतो वढवाड / आवो आवो बोले गाल, मोह करी हुलरावे बाल // 4 // __करे विकथाने हास्य अपार, ए दश दोष वचनना वार / काया केरा दूषण बार, चपलासन जोवे दिशि चार // 5 // सावध काम करे संघात, आलस मोडे उंचे हाथ / पग लांबे बेसे अविनीत, ओठिंगण ले थांभो भीत // 6 // मेल उतारेखरज खणाय, पग उपर चढावे पाय। अति उघार्यु मेले अंग, ढांके तेम वली अंग उपांग // 7 // निद्राए रस फल निर्गमे, करहा कंटक तरुये भमे / ए बत्तीसे दोष निवार, सामायिक करजो नर नार // 8 // . समता ध्यान घटा उजली, केशरी चोर हुओ केवली। श्रीशुभवीर वचन पालती, स्वर्गे गई सुलसा रेवती // 9 //