________________ . श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह वचन अंकुशे तिहां वारियो रे, . - नागिला भवदेव तेम रे, नवी रे० // 12 // नारी ते नरकनी खाण छे रे, नरकनी देवणहार रे। ते तमे तजो मुनिराजजी रे, जिम पामो भवजल पार रे, नवी रे० // 1 // नागिलाए नाथने समजावियारे, पछी लीधो संजम भार रे। . कर्म खपावी मुगते गया रे, हुवा हुवा शिव भरतार रे, नवी रे // 14 // पांचमे भवे जंबू स्वामी जी रे, परण्या पदमिणी नार रे। कोड नवाणुं कंचन लाविया रे, कल्पसूत्र मांहि अधिकार रे, नवी रे० // 15 // प्रभव साथे चोर पांचसे रे, पदमणी आठे नार रे। कर्म खपावी मुगति गया रे, समय सुंदर सुखकार रे, नवी रे० // 16 //