________________ 18 2 जिनपूजाविधि / जिनमंदिरमें प्रवेश और द्रव्यपूजा।... ____ इस तरह की भावना के साथ 5 'अभिगम (सन्मुख जाने के 5 नियम) और 10 'त्रिक का पालन करता हुआ जिनमंदिरमें प्रवेश करे / प्रवेश करते वक्त 'निसीही' बोल (1) पांच अभिगम-१ सचित्त वस्तुका त्याग (पास में फल फूल माला विगैरह हो तो छोड देना) 2 अचित्त वस्तुका अत्याग-अर्थात् पास में रहे हुए आभूषणादि को न छोडना / 3 खेश का उत्तरासन रखना 4 जिनप्रतिमा पर दृष्टि पडते ही दूरसे नमस्कार करना / 5 अपने मनको एकाग्र करना। (2)-10 त्रिक के नाम-अवग्रहत्रिक, आलंबनत्रिक, प्रदक्षिणात्रिक, क्षमाश्रमणत्रिक, प्रणिधानत्रिक, निस्सिहीत्रिक, अवस्थात्रिक, मुद्रात्रिक, दिशानिक, भूप्रर्माजनत्रिक / दशत्रिक का तात्पर्य है-अलग अलग तीन तीन वातों के दश नियम, जिन का क्रमवार वर्णन इस मुजब है / 1 अवग्रहत्रिक-अवग्रह भगवान के नजदीक के उस भूमि भागको कहते है जिसको छोड कर चैत्यवन्दन आदि करने के लिये बैठते हैं / यह अवग्रह उत्कृष्ट 60 हाथ,मध्यम 9 हाथ और जघन्य 3 हाथ का होता है, अर्थात् भगवानसे इतना दूर बैठना चाहिये / 2 आलंबनत्रिक-१ वर्णालम्बन 2 अर्थालंबन 3 प्रतिमालंबन / शुद्ध पद बोलने को वर्णालंबन कहते हैं, पदके अर्थ विचार को अर्थालंबन कहते हैं और प्रतिमा के सामने दृष्टि रखना इसे प्रतिमालंबन कहते हैं / ...