________________ 344 4 सज्झायसंग्रह दुर्मुखदूत वचन सुणी रे, कोप चढयो ततकाल / मनसु संग्राम मांडीयो रे, जीव पडयो जंजाल / प्र० // 3 // श्रेणिक प्रश्न पूछ तिहां रे, एहनी कुण गति थाय / भगवन्त कहे हमणां चवे तो, सातमी नरके जाय / प्र० // 4 // क्षण एक अन्तरे पूछियु रे, सर्वार्थसिद्ध विमान / वाजी देवनी दुन्दुभिरे, मुनि पाम्या केवलज्ञान / प्र० // 5 // प्रसन्नचन्द मुनि मुगते गया रे, श्री महावीरना शिष्य / रूपविजय कहे धन्य धन्य छे एहने, मैं तो जोया सूत्र प्रत्यक्ष प्रसन्न // 6 // श्री दशवैकालिक संज्झाय धम्मो मङ्गल महिमानिलो, धर्मसमो नहीं कोय / धर्मे सानिध देवता, धर्मे शिवसुख होय / धम्मो० // 1 // जीवदया नित पालिये, संजम सत्तरप्रकार। बारे भेदे तप तपों, धर्मतणो ए सार / धम्मो० // 2 // जिम तरुवरने फूलडे, भमरो रस ले जाय / तिम संतोषे आतमा, जिम फूल पीडा न थाय / धम्मो०।३।। इण विधि विचरे गोचरी, लेवे शुद्ध आहार / . ऊंच नीच मध्यम कुले, धन धन ते अणगार / धम्मो० // 4 //