________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह जम्बूस्वामी का चोढालिया दुहासरस्वती पदपङ्कज नमी, पामी सुगुरुपसाय / मुण गातां जम्बूस्वामीना, मुज मन हर्ष न माय // 1 // यौवनवय व्रत आदरी, पाले निरतिचार / मन बच काया शुद्धसुं, जाउं तस बलिहार // 2 // ढाल पहलीराजगृही नगरी भली रे लाल, बार जोजन विस्तार रे भविकजन / श्रेणिक नामे नरेसरु रे लाल, मन्त्री अभयकुमार रे भविकजन, भाव धरी नित्य सांभलो रे लाल // 1 // - ऋषभदत्त व्यवहारियो रे लाल, वसे तिहां धनवन्त रे भविकजन / धारणी तेहनी भारिया रे लाल, शीलादिक गुणवन्त रे भविकजन / भाव धरी० // 2 // सुख संसारनां विलसतां रे लाल, गर्भ रह्यो शुभ दिन रे भवि० / सुपन लही. जम्बूवृक्षतुं रे लाल, जन्म्यो पुत्र रतन रे भविकजन, भाव० // 3 // जम्बूकुमर नाम थापियुं रे लाल, सुपनतणे अनुसार रे भवि० / अनुक्रमे यौवन पामियो रे लाल, हुओ गुणभण्डार रे भविक०, भाव० // 4 //