________________ : श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 307 देवरिया मुनिवर ध्यानमा रहेजो, ध्यानथकी होय भवनो पार रे, देवरिया० / आं०॥ वरसादे भीनां चीवर मोकलां करवा, राजुल आव्या तेणे ठाम रे, देवरिया० // 1 // रूपे.रति रे वस्त्रे वरजित बाला, देखी खोभाणो तेणे काम रे, देवरिया० / दिलहुं क्षोभाणुं जाणी. राजुल भाषे, राखो थिर मन गुगना धाम रे, देवरिया० // 2 // जादवकुलमां जिनजी नेम नगीना, वमन करी छे मुजने तेण रे, देवरिया० / बंधव तेहना तुमे शिवादेवी जाया, . एवडो पटन्तर कारण केण रे, देवरिया० // 3 // परदारा सेवी प्राणी नरकमां जावे, दुर्लभ बोधि प्राय होय रे, देवरिया० / साधवी साथे जे पाप ज बांधे, तेहनो छुटकारो कदीय न थाय रे, देव० // 4 // अशुचि काया रे मलमूत्रनी क्यारी, * तमने केम लागी एवडी प्यारी रे, देव० / हुँ रे संयती तमे महाव्रत धारी, कामे महाव्रत जाशो हारी रे, देव० // 5 / /