________________ 297 श्रीजैनशान-गुणसंग्रह गहुंली आज हमारे रे मंगल रंग वधाई, जय जय श्रीमहावीर जिनेश्वर जगगुरु जगहितकारी, तुम शासन जगमां जयवंतुं चरते मंगलकारी / आज हमारे रे मंगल रंग वधाई // 1 // स्वामि सुधर्म गणीश-परंपर-नंदनवन सुरशाखी। जगचंद्रसूरीश्वरराजे, तपगच्छ कीर्ति दाखी / आ० // 2 // हीरविजयमूरि जगहीरो, जेणे अवपथ प्रतिरोध्यो / अद्भुतशक्ति-कलापरिचयथी, अकबर भूपति बोध्यो / आ० // 3 // तास परंपर गुणमणिरोहण, मणिविजय गुरुराया / शमदम त्यागवृत्तिधरी दुष्कर, संघ सकल मनभाया। आ०॥४॥ तास शिष्य श्रीसिद्धिविजयगणि, शिष्यगणे परिवरिया / संघतणा शुभ आग्रहवशथी, महेशाणे पाउधरिया। आ० // 5 // अद्भुत तपगुण अद्भुत जपगुण, अद्भुत शमगुण परख्यो / शास्त्रचोध पण अद्भुत निरखी, संघ सकल बहु हरख्यो। आ० // 6 // देशदेशांतर कुंकुमपत्री, मोकली संघ तेडावे सूरिपद देवाने कारण, होंश घणी मन लावे / आ० // 7 // देशदेशांतरथी आवीने, संघ चतुर्विध मलियो। शासनशोभा अंग विचारी, जिनसम गुणमणिकलियो। आ०॥८॥