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________________ .श्रीजैनशान-गुणसंग्रह द्राविडं वारिखिल्ला रे, दश क्रोडि मुनि मिल्ला रे / ' हुआ भक्ति रमणी भरतारा, कार्तिक पूनम दिन सारा। जिनशासन जग जयकारा / जि० // 7 // संवत शशि चारा रे, निधि इंदु उदारा रे / आतम को आनंदकारी, जिनशासन की बलिहारी। पाम्या भवजल पारी। जिनदा० // 8 // श्री शत्रुजय स्तवन शेजानो वासी प्यारो लागे मोरा राजिंदा, लागे मोरा राजिंदा जी लागे मोरा० // इण डुंगरीयारी जीणी जीणी कोरणी, उपर शिखर विराजे मोरा राजिंदा / शेत्रु० // 1 // चोमुख बिंब अनुपम विराजे, अद्भुत दीठां दुख भागे मोरा राजिंदा। शे० // 2 // चुवा चंदन ओर अरघजा, केशर तिलक बिराजे मोरा राजिंदा० / शे० // 3 // मस्तके मुकट कान में कुंडल, . बांहे बाजुबंद छाजे मोरा राजिंदा० / शे० // 4 // ज्ञान विमल प्रभु इणि परे बोले, आभव पार उतारो मोरा राजिंदा० शे० // 5 //
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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