________________ 293 श्रीजैनशान-गुणसंग्रह श्री सिद्धाचल स्तवन (तीरथनी आशातना नवि० यह देशी) विमल गिरिने भेटतां सुख पायो, हारे सुख पायो रे सुख पायो, हारे आनंद घणो दिल छायो, हारे नमतां गिरिराज / विमल / / मूल मंदिर प्रभु ऋषभनी अतिप्यारी, हारे सोहे मूरत मोहनगारी / हारे जस महिमा छे अतिभारी, होरे मार्नु मोहनवेल / विमल० // 1 // आस पास जिन बिंबने दिल धरिये, हारे रायण पगलां न विसरिये / हारे पुंडरीक गणधर गुण वरिये, करिये जन्म पवित्र / विमल० // 2 // ऋषभ प्रभुजी आविया दिल धारी, हारे इहां पूर्व नवाणुं वारी / हारे मुनि ध्यान कयु अतिभारी, तीर्थ नमुं गुणखाण / विमल० // 3 // पुंडरीकाचल नामथी ओलखायो, हारे ज्ञातासूत्रमें तीर्थ बतायो / सीमंधरजिन मुख से गवायो, नाम लियां दुख जाय / विमल० // 4 // तीर्थ प्रतापी भेटीयो मनुहारो, होरे रूडो देश सोरठ शणगारो / सौभाग्यविजय दिल प्यारो, नमिये वारं वार / विमल० // 5 //