________________ 292 3 स्तवनसंग्रह चोपगमांहे जेम केशरी मोटो, वाला मोराखगमांगरुड ते कहिये रे। नदीमाहे जेम गंगा मोटी, नगमां मेरु लहिये रे। पजू० // 2 // भूपतिमां भरतेश्वर भाख्यो, वा० देव मांहे सुर इंद्र रे / सकल तीरथ मांहे शेजो दाख्यो, ग्रहगणमां जेम चंद्र रे पजू० // 3 // दशरा दीवाली ने वली होली, वा० आखातीज दिवासो रे / बलेव प्रमुख बहुला छे बीजां, पण ए मुक्तिनो वासो रे। . . पजू० // 4 // ते माटे अमार पलावो, अट्ठाइ महोच्छव कीजे रे। अट्ठम तप अधिकाइये करीने, नर भव लाहो लीजे रे। पजू० // 5 // ढोल दुंदुभि भेरी नफेरी, वा० कल्पसूत्र जगावे रे / झांझरनो झमकार करीने, गोरीनी टोली मली आवे रे / . पजू० // 6 // सोना रूपाने फूलडे वधावी, वा० कल्पसूत्र ने पूजे रे / नव वखाण विधिए सांभलतां, पाप मेवासी धूजे रे। पजू० // 7 // ए अट्टाहिनो महोच्छव करतां, वा० बहु जगजन उद्धर्या रे.। विबुध विनीत वरसेवक एहथी, नवनिधि ऋद्धि सिद्धि वर्या रे। पजू० // 8 //