________________ . श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 291 दीवाली महावीरजिन स्तवन म्हारे दीवाली थइ आज, जिनमुख जोवाने ॥आं०। महावीर स्वामी मुगते पहोता, गौतम केरल ज्ञान रे / धन अमावस दीवाली म्हारे, वीर प्रभु निर्वाण / जिनमुख० // 1 // चारित्र पाली निरमलं ने, टाली विषय कषाय रे / एहवा मुनिने वांदिये तो, उतारे भवपार। जिन // 2 // बाकुला वहोराव्या वीरजीने, तारी चंदन बाला रे / केवल लहीने मुगते पहोता, पाम्या भवनो पार। जिन० // 3 // एहवा मुनिने वांदिये, जे पंचम ज्ञानने धरता रे / समवसरण दइ देशना, प्रभु तार्या नर ने नार। जिन // 4 // चोवीसमा जिनेश्वर ने, मुक्ति तणा दातार रे। कर जोडी कवि इम भणे, प्रभु भवनो फेरो टाल / जिन // 5 // - श्री पर्युषणा स्तवन (आंखडीये में आज शेत्रुजो दीठो रे यह चाल ) सुणजो साजन संत पजूसण आव्यां रे / तुसे पुण्य करो पुण्यवंत, भविक मन भाव्यां रे / / वीर जिणेसर अति अलवेसर, वाला मोरा परमेश्वर एम बोले रे। पर्व मांहे पजूसण मोटा, अवर न आवे तोले रे / पजू० // 1 //