________________ . 3 स्तदनसंग्रह नवकोडा पार्श्वनाथ स्तवन (माढ राग) नवकोडा स्वामी अंतरजामी तारो दीनदयाल // .. अश्वसेन जी के लाडला रे, वामादेवी माय / / नगर बनारसी जन्म लियो प्रभु, नील वरण छे कायरे // : . नवकोडा० // 1 // पार्श्वनाथप्रभाव जगतमें, पूजे सुर नर इन्द। श्याम मूरत सुंदर जिनजी को, मुखडो छ पूनमचंद रे॥ . नवकोडा० // 2 // अरज सुणीजो दर्शन दीजो, मुजरो लीजो मान / जन्म मरण दुःख टालों जिनजी, अरज करे छ कान रे / / . नवकोडा० // 3 // श्री पार्श्वनाथ स्तवन (नाथ कैसे गजको बंध छुडायो-यह चाल) नाथ मेरी वीनतडी अवधारो, मोए जैसे बने ऐसे तारो, नाथ मेरी० / आं। अश्वसेन वामाजीको नंदन, नागकुं तारणहारो। केवल ज्ञान लही जगभूषण, शिखर समेत शणगारो, नाथ मेरी० // 1 // सुर नर नरक निगोद तणा दुख, कहेतां न आवे पारो /