________________ - श्रीजैनशान-गुणसंग्रह श्री जिन उत्तम ताहरी, आशा अधिक महाराज / पद्मविजय कहे एम लहुं शिवनगरीनु, अक्षय अविचलराज ॥परमा० // 7 // पार्श्वनाथजिनस्तवन (राग काफी) जिनराज नाम तेरा, राखुं हमारे घटमें / जागे प्रभाव मेरा, अज्ञान का अंधेरा / भाग्या भया उजारा, राखुं हमारे० // 1 // मुद्रा प्रमोद कारी, प्रभु पासजी तिहारी / मोहे लगत है प्यारी, राखुं हमारे० // 2 // सूरत तेरी रागे, देख्यां विभाव त्यागे / अध्यात्म रूप जागे, राखुं हमारे० // 3 // त्रिलोकी नाथ तुम ही, मैं हूं अनाथ गुनहीं / करिये सनाथ हम ही, राखुं हमारे० // 4 // जिनजी तिहारी साखे, जिनहर्षसूरि भाखे / दिलमें हि याही राखे, राखुं हमारे घट में। जिनराज० // 5 //