________________ 265 .. श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह एक कोड साठ लाख सोहे छे, कलस महामनुहारी / बारे जोजन पहोला पेटे, पचीस जोजन उंचा धारी // पारस० // 3 // नीचा उंचा जोजन पहोला, निर्मल भरीयो वारी / फूल चंगेरी बावना चंदन, केशर ने घनसारी ॥पारस० // 4 // इणि परे ओछव सुरपति कीनो, जोइजो सूत्र संभारी / सुरगिरि ऊपर पांडुकवन में, पांडुशिला अतिप्यारी // - पारस०॥५॥ अश्वसेनराय ओछव कीना, दान दिया दिल धारी / शहेरनी श्रेष्ठता जोवे जुक्ते, बेठा गोखमझारी // पा० // 6 // ___ लोक सहु पूजापो लइने, कमठकुं पूजनकारी / . प्रभुजी पधार्या देखण काजे, नाग जले तिण वारीपा०॥७॥ काष्ठ फडावी नाग निकाल्यो, संभलाग्यो मंत्र भारी / समकित लेइने सुरपति हुवा, धरणेन्द्र एकावतारी। पा० // 8 // उगणीसे इगतालीस वर्षे, पोष दशम रदीयाली। आहोर नगरमें ओछव कीनो, संघ सकल बलिहारी ॥पा० // 9 // - सुंदरमूर्ति प्रभुनी बिराजे, भविजनकुं सुखकारी। कीर्तिचंद्रसम शोभे जगमें केशरविजय जयकारी // पा० // 10 //