________________ . .. 3 स्तवनसंग्रह . श्री पार्श्वनाथ जिनस्तवन. राता जेवा फूलडांने शामल जेवो रंग। आज तारी आंगी नो काइ रूडो बन्यो छे रंग, प्यारा पासजी हो लाल, दीनदयाल मुने नयणे निहाल // जोगी बाडे जागतो ने मातो धिंगणमल्ल / शामलो सोहामणो काइ, जीत्या आठे मल्ल / प्या० // 2 // तूं छे मारो साहिबो ने, हुं छु तारो दास / आश पूरो दासनी कांइ सांभली अरदास / प्या० // 3 // देव सघला दीठा तेमां, एक तूं अवल्ल।। लाखेणो छे लटको ताहरो देखी रीझे दिल्ल / प्या०॥४॥ कोई नमे पीरने ने, कोइ नमे राम / उदयरत्न कहे प्रभु, मारे तुमसुं काम / प्या० // 5 // .. श्री पार्श्वनाथस्तवन ... - पारस तोरी निरखण दो असवारी, अरजी सुणा प्रभु म्हारी // पारस ॥आं०॥ 'काशी देश वाणारसी नयरी, दिन दशमी जयकारी / वामाराणी कूखथी प्रभुजी, जन्म लियो सुखकारी / पारस 01 // - छप्पन दिक्कुमरी हुलराया, हिये हर्ष अतिभारी। चोसठ इंद्र करे वली महोच्छव, करवा भवजल पारी / /