________________ .. श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 263 प्यारा बस नहीं हमेरा, प्रीतम पीडमें परी // राजुल पुकारे० // 2 // हम से रह्यो न जाय, प्रीतम तुम बिना घरी / संग लीजिये दयाल, दया दिल में धरी // राजुल पुकारे० // 3 // निशदिन तुमारा नाम, लेते ज्ञान की झरी // राजुल पुकारे० // 4 // श्री नेमिनाथ गायन मुझे चपलासी चमक बताय गयो रे, मुझे / महेल चढी जोइ हियो हरखायो, नैना को नेह लगाय गयो रे, मुझे // 1 // कोड छप्पन जादव संग लायो, नहीं पूरी खातो खताय गयो रे, मुझे चपला०॥२॥ समुद्रविजय शिवादेवीनंदन, निरखी पशु पछताय गयो रे / मुझे चपला० // 3 // तोरणसे फिर गिरनारी गयो, संजम दिलमें रचाय गयो रे / मुझे चपला० // 4 // नेम राजुल मिली कर्म खपायो, अचल अखंड पताय गयो रे / मुझे चपलासी० // 5 //