________________ ____261 श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह श्रीनेमिनाथस्तवन हां नेम मने लागे प्यारो, शाम वरण मोहनगारो रे नेम मने० आंकणी / समुद्रविजय शिवादेवी को जायो, नगरी द्वारिका जनम लहायो। ... तीन लोक में हुओ उजियारो रे, नेम मने० // 1 // .. जान लइ प्रभु परणवा जावे, उग्रसेन के घर जब आवे / सुणी पुकार पशु रथ पाछो फिरावे रे, नेम० // 2 // बालपने से हुए ब्रह्मचारी, तजी रूपाली राजुल नारी / / संसार मोहनी दूर निवारी रे, नेम० // 3 // भरी जुवानी संजम लीनो, शुक्ल ध्यान सहसावन कीनो। केवलज्ञान जहां प्रभु लीनो रे, नेम० // 4 // मोक्ष गये गिरनारे स्वामी, जन्म मरण से हुए विसरामी। नमे सौभाग्यविजय शिरनामी रे, नेम० // 5 //