________________ 249 . श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह परममिधान प्रगट मुख आगले, जगत उलंधी हो जाय जिनेसर / जोति विना जुओ जगदीसनी, अंधो अंध पलाय जिनेसर / धर्म० // 6 // निर्मलगुणमणिरोहणभूधरा,.. मुनिजनमानसहंस जिनेसर। धन ते नगरी धन वेला घडी, मात पिता कुल वंश जिनेसर / धर्म० // 7 // मनमधुकर वर कर जोडी कहे, पदकजनिकट निवास जिनेसर / घननामी आनंदघन सांभलो, ए सेवक अरदास जिनेसर / धर्म // 8 // श्री शांतिनाथस्तवन ___ सुंदर शांतिजिणंदनी, छबी छाजे छ। . प्रभु गंगाजलगंभीर, कीर्ति गाजे छे // 1 // गजपुर नयर सोहामणु, घणुं दीपे छ / विश्वसेननरिंदनो नंद, कंदर्प जीपे छे // 2 // अचिरामाताए उर धर्यो, मन रंजे छ / मृगलांछन कांचनवान, भावठ भंजे छे // 3 //