________________ . .244 3 स्तवनसंग्रह क्लेशे वासित मन संसार, क्लेश रहित मन ते भव पार / जो विशुद्ध मनघर तुमे आव्या, प्रभु तो अमे नवनिधि ऋद्धि पाव्या / सा० // 3 // सात राज अलगा जइ बेठा, पण भगते अम मनमा पेठा। अलगा ने वलगा जे रहेवु, ते भाणाखडखड दुख सहेवु / सा० // 4 // ध्यायक ध्येय ध्यान गुण एके, भेद छेद करशुं हवे टेके / खीर नीर परे तुमसुं मलशु, वाचक जस कहे हेजे हलशुं / , सा० // 5 // श्री वासुपूज्य गायन . (राग माढ) वासुपूज्य विलासी, चंपाना वासी, पूरो हमारी आश / करं पूजा हूं खासी, केसर घासी, पुष्प सुवासी, पूरो हमारी . आश०॥ चैत्यवंदन करुं चित्तथी प्रभुजी, गावं गीत रसाल। एम पूजा करी विनति करुं छु, आपो मोक्ष बिशाल / दीयो कर्मने फांसी, काढो कुवासी, जेम जाय नाशी, पूरो हमारी आश / वासु० // 1 // आ संसार धोरमहोदधिथी, काढो अमने बहार / स्वास्थना सहु कोइ सगा छे, मात पिता परिवार रे। . चालमित्र उलासी, विजयविलासी, अरजी खासी, पूरो हमारी आश / वासुपूज्य विलासी० // 2 //