________________ 218 , 2 स्तुति-संग्रह शासनदेवी सानिध्यकारी आराधे अति दीपे जी, काने कुंडल सुवर्ण चूडी रूपे रमझम दीपे जी। अंबिका देवी विघ्न हरेवी शासन सानिध्यकारी जी, पंडित हेतविजय जयकारी जिन जंपे जयकारी जी // 4 // मौन एकादशी की स्तुति मृगशिर शुद एकादशी ए भाखी नेमिजिणंद तो, ... मुक्ति वधूनो मांडवो ए आदरे कृष्ण नरिंद तो। वर्ष अग्यार आराधिये ए एकादश वली मास तो, जावजीव लगि जे करे ए पामे शिवपुर वास तो // 1 // कल्याणक कह्या एह तिथि ए नेउजिनना जाण तो, त्रीश चोविसी तिहां थकी ए पंच पंच गिणती आण तो। भरतादिक दश क्षेत्रना ए जिनवर सघला जाण तो, त्रणे काल मिली ध्यावतां ए पामे पद कल्याण तो // 2 // अंग अग्यारे जे भणे ए पडिमा तप अग्यार तो, सुव्रत शेठ तणी परे ए सुर पदवी लहे सार तो। अग्यार अग्यार प्रकारनी ए पामे परिगल ऋद्ध तो, आगमने आराधतां ए भवियण पामे सिद्ध तो // 3 // नेमिनाथ जिनवर कहे ए एकादशी अधिकार तो, पूछे कृष्ण नरेशरु ए निशुणे परषदा बार तो। शुणी अनुमोदे आदरे ए माधव परे जग सार तो,. शासन देवी सुखकरु ए कीर्तिचंद्र हितकार तो॥ 4 //