________________ 2 स्तुति-संग्रह भविस्संति जे सव्वभव्वाण ताया। तहा संपयं जे जिणा वट्टमाणा, सुहं दितु मे ते तिलोयप्पहाणा // 2 // दुरुत्तारसंसारकुव्वारपोयं, कलंकावलीपंकपक्खालतोयं / मणो वंछियत्थेसु मंदारकप्पं, जिणिंदागमं वंदिमो सुमहप्पं // 3 // विकोसे जिणिंदाणणंभोजलीणा, कलारूव--लावण्ण-सोहग्गपीणा / वहंतस्स चित्तमि निचंपि झाणं, सिरी भारई देहि मे सुद्धनाणं,॥४॥ - बीज की स्तुति जंबूद्वीपे अहोनिश दीपें दोय सूर्य दोय चंदा जी, तास विमाने श्रीऋषभादिक शाश्वत नाम जिणंदा जी / तेह भणी उगते शशी निरखी प्रणमे भविजनवृंदा जी, बीज आरोपो धर्ममुं बीजे पूजी शांति जिणंदा जी // 1 // द्रव्य भाव दोय भेदे पूजो चोवीसे जिनचंदा जी, बंधन दोय दूर करीने पाम्या परमाणंदा जी। दुष्ट ध्यान दोय मत्त मतंगज भेदन मत्तमयंदा जी, बीजतणे दिन में आराधे ते जगमां चिरनंदा जी // 2 // द्विविध धर्म जिनराज प्रकाशे समवसरण मंडाणे जी,