________________ 21 - श्रीजैनशान-गुणसंग्रह त्रिगडे तेजे तपता जिनवर मुज बेट्या हुं जाणुंजी / केवल कमला केलि करंतां कुलमंडण कुलदीवोजी, लाख चोराशी पूरव आयु रुकमिणी वर घणुं जीवोजी // 1 // संप्रति काले वीश तीर्थकर उदया अभिनव चंदाजी, केइ केवली केइ बालक परण्या केइ महीपति सुखकंदाजी / श्रीसीमंधर आदि अनोपम महाविदेहे जिणंदाजी, सुर नर कोडाकोडी मिली तिहां जोवे मुख अरविंदाजी // 2 // श्रीसीमंधर त्रिगडो जोवा हु अलजायो वाणी जी, आडा डुंगर आवी न शकुं वाट विषम अरु पाणी जी / इण क्षेत्र रही पाय हुं लागुं सूत्र अर्थ मन आणीजी, अमृत रसथी अधिक वखाणी जीवदया पटराणीजी // 3 // पंचांगुली में प्रत्यक्ष दीठी जाणुं हुं जगमाताजी, पहेरण चरणा चोली-पटोली अधर अनोपम राताजी / स्वर्गभुवन सिंहासण बेठी तूंहीज़ देवी विख्याताजी, सीमंधरशासनरखवाली शांतिकुशलसुखदाताजी // 4 // बीज की स्तुति महीमंडणं पुण्णसोवण्णदेहं, जणाणंदणं केवलनाणगेहं। महानंदलच्छी-बहुबुद्धिरायं, सुसेवामि सीमंधरं तित्थरायं // 1 // पुरा तारगा जे य जीवाण जाया,