________________ 214 . 2 स्तुति-संग्रह ऋषभादिक चउवीस तीर्थकर जपिये तो सुख लहियजी // 2 // घर वासी, करोने वहुअर टालो ओजीसालुंजी, चोरटो एक करे छे हेरो ओरडे द्योने तालुंजी / लबक्या पाहुणा चार आवे छे ते ऊभा नवि राखोजी; शिवपद सुख अनंतुं लहिये जो जिन वाणी चाखोजी // 3 // घरनो खुणो कोल खणे छे वहु तुमे मनमां लावोजी, पोटें पलंगे प्रीतम पोढयो प्रेम धरीने जगावोजी। भावप्रभ सूरि कहे नहीं ए कथलो अध्यातम उपयोगीजी, सिद्धायिका देवी सानिध्ये थइये ते शिवपद भोगीजी // 4 // सीमंधरजिनस्तुति सीमंधर जिन वर आतमना आधार, प्रभु त्रिगडे बेठा भाखे अर्थ विचार / कइ भव्यजनोने तार्या दीन दयाल, सौभाग्यविजयनी दूर करो जंजाल // 1 // . श्रीसिद्धाचलस्तुति शत्रुजय गिरि तीरथ मोटुं आदीश्वर जिहां सोहेजी, देहरां उंचां गगने अडियां योगीश्वर मन मोहेजी / भव जल तरवा मानुं प्रवहण भाख्यु ग्रन्थ मझाराजी, प्रात उठीने वंदन करीये सौभाग्यविजय सुख साराजी // 2 // __ सीमंधरजिन स्तुति . श्रीसीमंधर मुजने वाला आज भलं सुविहाणुजी, ..