________________ . प्रस 2 स्तुति-संग्रह प्रभु अस्थ प्रकाशे रचना गणधर सार / सो आगम सुणतां छेदीजे गति चार, जिन वचन वखाणी लहिये भवनो पार // 3 // यक्ष गोमुख गिरुओ जिननी भक्ति करेव, तिहां देवी चकेसरी विधन कोड हरेव / .. : . श्री तपगच्छ नायक विजयसेनसरिराय, .तस केरो श्रावक ऋषभदास गुण गाय // 4 // श्री शांतिनाथ जिन स्तुति शांति जिनेसर समरिये जेनी अचिरा माय, विश्वसेन कुल उपन्या मृगलंछन पाय / गजपुर नयरीना धणी कंचन वरणी छे काय, धनुष चालीसनी देहडी लाख वरसर्नु आय // 1 // शांति जिनेसर सोलमा चक्री.पंचम जाणु, कुंथुनाथ चक्री छट्टा अरनाथ वखाणुं / ए त्रणे चक्री सही देखी आणंदूं, संजम लइ मुगते गया नित्य उठीने वंदु // 2 // शांति जिनेसर केवली बेसी धर्म प्रकाशे, दान शीयल तप भावना नर सोय अभ्यासे / एह वचन जिनजी तणा जेणे हियडे धरिया, सुणतां समकित निर्मला निश्चय केवल वरिया // 3 // समेत शिखर गिरि उपरे जेणे अणसण कीधा,