________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह इस प्रकार बुलाये हुए मनुष्य को काम भलावे तो चोथा अतिचार / (5) पुद्गलप्रक्षेप-नियम की भूमि से कोई बाहर जाता हो उस पर कंकर विगैरह फेंक कर अपनी तर्फ बुलावे और उससे बात चीत करे तो पांचवाँ अतिचार लगता है / नियम- . ___ मैं प्रतिवर्ष देशावकाशिक व्रत -करूंगा। पौषधोपवास व्रतस्वरूप आत्मा के गुणों की अथवा धर्म की पुष्टि करने वालाजो उपवास युक्त व्रत हो उसको 'पौषधोपवास' कहते हैं। इसके 4 भेद हैं-१ आहार पौषध, 2 शरीरसत्कार पौषध, 3 ब्रह्मचर्य पौषध और 4 अव्यापार पौषध / ये प्रत्येक देश और सर्व भेद से दो दो प्रकार के होते हैं। ... - 1 तिविहार उपवास आयंबिल या एकासना करके जो पौषध किया जाता है उसको देश से आहार पौषध कहते हैं, और चउविहार उपवास के साथ किया जावे वह सर्व से आहार पौषध कहाता है। 2 हाथ पांव धोने की छूट रखना देश शरीर सत्कार पौपध और सर्वथा शरीर संबन्धी शणगार का त्याग करना सर्वशरीरसत्कार पौषध कहा जाता है।