________________ 90 3 श्रावक-द्वादश व्रत दिन का 10 सामायिक का और 1 सामायिक का भी होता है, जैसा समय हो वैसा करे / प्रतिज्ञा___"मैं देवगुरु साक्षिक देशावकाशिक व्रत स्वीकार करता हूं। आजीवन धारणा मुजब यथाशक्ति देशावकाशिक व्रत करूंगा।" अतिचार- (1) आनयन प्रयोग–अपनी धारीहुई भूमिका से बाहर की किसी चीज की जरूरत पड़ने पर मन में खयाल करे कि मेरे तो बाहर जाने का नियम है, चीज मंगवाऊं तो क्या हर्ज है ऐसी कल्पना से नियत भूमि से बाहर से कोई चीज मंगवावे तो पहला अतिचार / (2) प्रेषण प्रयोग–अपनी नियमित (मुकरर की हुई) भूमि से कुछ चीज बाहर भेजे तो दूसरा अतिचार / ___(3) शब्दानुपाती-अपनी नियमित भूमि से बाहर कोई जाता हो उसको शब्द द्वारा अथवा खुंखार कर बुलावे और अपने लिये कोई चीज मंगवाने का हुक्म करे तो तीसरा अतिचार / (4) रूपानुपाती-नियम की भूमि से बाहर जाते किसी को देखकर हवेली विगैरह ऊंचे स्थान पर चढ कर अपना रूप बतावे, इस इरादे से कि वह मनुष्य अपने पास आ जाय,