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________________ 36 . कप्पसुत्तं-सामायारी वयइ से य पमाणओ घित्तव्वे,से य विण्णविजा,से य विण्णवेमाणे लभिजा,से य पमाणपत्ते होउ अलाहि'इय वत्तव्वं सिया, सेकिमाहु भंते !,एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स,सिया णं एवं वयंत परो वइजा-'पडिगाहे हि अज्जो ! पच्छा तुमं भुवखसि वा पाहि सि वा,' एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, णो से कप्पइ गिलाणणीसाए पडिगाहितए / // 18 // वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थि णं थेराणं तहप्पगाराई कु.लाई कडाइं पत्तियाई थिजाइं वेसासियाई समयाइं बहुमयाई अणुमयाइं भवंति, त(ज)त्थ से णो कप्पइ अदक्खु वइत्तए-अस्थि ते आउसो ! इमं वा इमं वा ?' से किमाहु भंते ! सट्टी गिही गिण्हइ वा, तेणियंपि कुजा // 19 // वासावासं पज्जोसवियस्स णिच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगं गोयरकालं गाहावइकुलं भत्ताए या पाणाए वा णिक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, णण्णत्थाऽऽयरियवेयावच्चेण वा एवं उवज्झायवेयावरचेण वा तवस्सिवेयावच्चेण वा गिलाणवेयावच्चेण वा खुड्डएण वा खुट्टियाए वा अवंजणजायएण वा // 20 // वासावासं पज्जोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिव खुस्स अयं एवइए विसेसे-ज से पाओ णिक्खम्म पुवामेव वियडगं भुच्चा पिच्चा पडिग्गहगं संलिहिय संपमज्जिय से य संथरिजा कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तटेणं पज्जोसवित्तए, से य णो संथरिजा एवं से कप्पइ दुच्चंपि गाहावइकुलं भत्ताए पा पाणाए वा णिक्खमित्तए वा पविसित्तए वा // 21 // वासावासं पज्जोसवियस्स छ?भत्तियस्स भिवखुस्स कप्पंति दो गोयरकाला गाहाबकुलं भत्ताए वा पाणाए बा णिक्खमित्तए वा पविसित्तए वा // 22 // वासाबासं पज्जोसवियरस अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तो गोयरकाला गाहाबइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा णित्रमित्तए वा पविसित्तए वा // 23 // वासावासं पज्जोसवियस्स विगिट्ठ. भत्तियस्स-भिक्खुस्स कपंति सव्वेवि गोयरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए बाणिक्खमित्तए वा पविसित्तए वा // 24 // वासावासं पज्जोसवियस्स णिच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति सव्वाइं पाणगाई पडिगाहित्तए / वासावासं पज्जोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स कपंति तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए, तंजहा ओसेइमं(वा), संसेइम, चाउलोदगं / वासावासं पज्जोसवियरस उट्ठभत्तियस्स * 'भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए, तंजहा-तिलोदगं वा, तुसोदगं वा, जवोदगं वा / वासावासं पज्जोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिव खुरस कप्पंति तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए, तंजहा-आयामं वा, सोवीरं वा, सुद्ध वियडं वा / वासावासं 1 आयामे वा, सोवीरे वा, सुद्धवियडे वा।
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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