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________________ 40 पढमं परिसिळं . पज्जोसवियस्स वि(कि)गिट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगे उसिणवियडे पडिगाहित्तए, से वि यणं असित्थे णो (चेव) वि य णं ससित्थे / वासावासं पज्जोसवियस्स भत्तपडियाइक्खियस्स मिक्खुस्स कप्पइ एगे उसिणवियडे पडिगाहित्तए, से वि य णं असित्थे, णो चेव णं ससित्थे, से वि य णं परिपूए, णो चेव णं अपरिपूए, से वि य णं परिमिए, णो चेव णं अपरिमिए, से वि य णं बहुसंपण्णे, णो चेव णं अबहुसंपण्णे // 25 / / वासावासं पज्जोसवियस्स संखादत्तियस्स भिवखुस्स कापंति पंच दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहित्तए पंच पाणगस्स, अहवा चत्तारि भोयणस्स पंच पाणगस्स, अहवा पंच भोयणस्स चत्तारि पाणगस्स, तत्थ णं एगा दत्ती लोणासायणमित्तमवि पडिगाहिया सिया कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तट्टेणं पज्जोसवित्तए, जो से कप्पइ दुच्चपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा णिक्खमित्तए वा पविसित्तए वा // 26 // वासावासं पज्जोसवियाणं णो कप्पड णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा जाव उवस्सयाओ सत्तघरंतरं संखडिं संणियट्टचारिस्स इत्तए, एगे (पुण) एवमाहंसु-णो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परेण सत्तघरंतरं संखडिं संणियट्टचारिस्स इत्तए, एंगे पुण एवमाहंसुणो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परंपरेणं संखडिं संणियट्टचारिस्स इत्तए // 27 // वासावासं पज्जोसवियस्स णो कप्पइ पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स कणगफुसियमित्तमवि वुट्टिकायंसि णिवयमाणंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा णिवखमित्तए वा पविसित्तए वा // 28 // वासावासं पज्जोसवियस्स पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स णो कम्पह अगिहंसि पिंडवायं पडिगाहित्ता पज्जोसवित्तए, पज्जोसवेमाणस्स सहसा त्रुट्टिकाए णिवइजा देसं भुच्चा देसमादाय से पाणिणा पाणिं परि पिहित्ता उरंसि वा णं णिलिज्जिजा, कक्खंसि वा णं समाहडिजा, अहाछण्णाणि वा लेणाणि वा उवागच्छिजा, रुक्खमूलाणि वा उवागच्छिजा, जया से पाणिसि दए वा दगरए वा दगफुसिया बा णो परियावनइ // 29 // वासावासं पज्जोसवियस्स पाणिपडिन्गहि यस्स भिक्खुस्स जं किंचि कणगफुसियमित्तंपि णिवडेइ, णो से कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा णिक्खमित्तए वा पविसित्तए वा // 30 // वासावासं पन्जोस. वियस्स पडिग्गहधारिस्स मिक्खुस्स णो कप्पइ वग्धारियवुट्टिकायंसि गाहावइकुलं भत्ताए बा पाणाए वा णिक्खमित्तए वा पवि सित्तए वा, कप्पइ से अप्पट्टिकार्यसि संतरुत्तरंसि // 31 // वासावासं पज्जोसवियस्स णिग्गंथस्स णिग्गंथीए वा गाह'बइ 1 'फुसार' / 2 वियारभूमिगमणेऽववाओ।
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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