________________ 38 पढमं परिसिट्ठ बासावासं पज्जोसर्विति // 3 // जहाणं गणहरावासाणं सवीसइराए जाव पज्जोसविंति तहा णं गणहरसीसावि वासाणं जाव पज्जोसविंति // 4 // जहा णं गणहरसीसा वासाणं नाव पज्जोसविंति तहाणं थेरावि वा(सावासं)साणं जाव पज्जोसविति // 5 // जहा णं थेरा वासाणं जाव पज्जोसविंति तहा णं जे इमे अजत्ताए समणा णिग्गंथा विहरंति ते(एए)वि यणं वासाणं जाव पज्जोस(वे)विति // 6 // जहा णं जे इमे अजताए समणा णिग्गंथा वासाणं सवीसइराए मासे विइक्कंते वासावासं पज्जोसविति तहा णं अम्हंपि आयरिया उवज्झाया वासाणं जाव पज्जोसविंति // 7 // जहा णं अम्हं(पि ) आयरिया उवज्झाया वासाणं जाव पज्जोसविंति तहा णं अम्हे वि वासाणं सर्वासइ. राए मासे विइक्कंते वासावासं पज्जोसवेमो,अंतरा वि य से कप्पइ[पज्जोसवित्तए, णो से कप्पइ तं रयणि उवाइणावित्तए // 8 // वासावासं पज्जोसवियाणे कप्पई णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणे उग्गहं ओगिण्हित्ताणं चिट्ठिउं अहालंदमवि उग्गहे // 9 // वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिणियत्तए // 10 // जत्थ णई णिच्चोयगा णिच्चसंदणा, णो से कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिणियत्तए // 11 // एरावई कुणालाए, जत्थ चक्किया सिया एगं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा,एवं चक्किया एवं णं कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं गंतुं पडिणियत्तए // 12 // एवं च णो चक्किया, एवं से णो कप्पह सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं गंतु पडिणियत्तए // 13 // वासावासं पज्जो. सवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुव्वं भवइ-'दावे भंते !' एवं से कप्पइ दावित्तए, णो से कप्पइ पडिगाहित्तए॥१४॥वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ-'पडिगाहे[हि भंते!' एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए,णो से कप्पइ दाधित्तए // 15 // वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुव्वं भवइ-दावे भंते ! पडिगाहे भंते !'एवं से कप्पइ दावित्तए वि पडिगाहित्तए वि॥१६॥ वासावासं पज्जोस. वियाणं णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा हट्ठाणं तुट्ठाणं आरोग्गाणं बलिय सरीराण इमाओ णव रस विगईओ अभिक्खणं अभिक्खणं आहारित्तए,तंजहा-खीरं, दहि, णवणीयं,सप्पिं,तिल्लं, गुडं,महुं, मज्जं, मंसं // 17 // वासावासं पज्जोसविया अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुव्वं भवइ-'अट्ठो भंते ! गिलाणस्स ?' से य वएजा-'अट्ठो',से य पुच्छियव्वे 'केवइएणं अट्ठो! से(य)वएजा-एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स जं से पमाणं