________________ 655 जंबुद्दीवपण्णत्ती व.३ महाकालि आगराणं च / रुप्पस्स सुवण्णस्स य मणिमुत्तेसिलप्पवालाणं // 7 // जोहाण य उप्पत्ती आवरणाणं च पहरणाणे च / सव्वा य जुद्धणीई माणवगे दंडणीई य // 8 // णट्टविही णाडगविही कव्वस्स य चउम्विहस्स उप्पत्ती / संखे महाणिहिमि तुडियंगाणं च सव्वेसि // 9 // चक्कट्ठपइट्ठाणा अठुस्सेहा य णव य विक्खंभा / बारसदीहा मंजूससंठिया जण्हवीइ मुहे // 10 // वेरुलियमणिकवाडा कणगमया विविहरयणपडिपुण्णा / ससिसूरचक्कलक्खण अणुसमवयणोववत्ती या // 11 // पलिओवमट्टिईया णिहिसरिणामा य तत्थ खलु देवा / जेसिं ते आवासा अक्किजा आहिवच्चा य // 12 // एए णव णिहिरयणा पभूयधणरयणसंचयसमिद्धा। जे वसमुवगच्छंति भरहाहिवचक्कवट्टीणं // 13 / / तए णं से भरहे राया अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ, एवं मजणघरपवेसो जाव.सेणिप्पसेणिसद्दावणया जाव णिहिरयणाणं अट्ठाहियं महामहिमं करेइ, तए णं से भरहे राया णिहिरयणाणं अट्ठाहियाए महामहिमाएं णिवत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावइरयणं सद्दावेइ 2 ता एवं वयासी-गच्छ णं भो देवाणुप्पिया ! गंगामहाणईए पुरथिमिल्लं णिक्खुडं दुच्चंपि सगंगासागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि य ओअवेहि 2 त्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहित्ति। तए णं से सुसेणे तं चेव पुव्ववण्णियं भाणियव्वं जाव ओअवित्ता तमाणत्तियं पञ्चप्पिणइ पडिविसज्जेइ जाव भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ / तए णं से दिव्वे चक्क रयणे अण्णया कयाइ आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ 2 त्ता अंतलिक्खपडिवण्णे जक्खसहस्ससंपरिबुडे दिव्वतुडिय जाव आपूरेते चेव० विजयक्खंधावारणिवेसं मझमझेणं णिग्गच्छइ० दाहिणपञ्चत्थिमं दिसि विणीयं रायहाणिं अभिमुहे पयाए यावि होत्था / तए णं से भरहे राया जाव पासइ 2 त्ता हट्टतुट्ठ जाव कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ 2 त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! आभिसेक्कं जाव पच्चप्पिणंति // 66 // तए णं से भरहे राया अज्जियरज्जो णिज्जियसत्तू उप्पण्णसमत्तरयणे चच्चरयणप्पहाणे णवणिहिवई समिद्धकोसे बत्तीसरायवरसहस्साणुयायमग्गे सट्ठीए वरिससहस्सेहिं केवलकप्पं भरहं वासं ओअवेइ 2 त्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ 2 त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! आभिसेक्कं हत्थिरयणं हयगयरह तहेव जाव अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवई णरवई दुरुढे / तए णं तस्स भरहस्स रण्णो आमिसेक्कं हत्थिरयणं दुरूढस्स समाणस्स इमे अट्ठमंगलगा पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्ठिया, तंजहा-सोत्थियसिरिवच्छ जाव दप्पणे, तयणंतरं च णं पुण्णकलसभिंगार