________________ 1162 अनंगपविट्ठसुत्ताणि जीवा आणाए विराहित्ता चाउरतं संसारकंतारं अणुपरियट्टिम्मति / इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं तीए काले अणंता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं वीईवइंसु / इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिड़गं पडुप्पण्णकाले परित्ता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं वीईवयंति। इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडंग अणागए काले अणंता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं वीईवइ. स्संति / इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं ण कयाइ गासी, म कयाइ म भवइ, ण ‘कयाइ ण भविस्सइ, भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य, धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्टिए, णिच्चे / से जहाणामए पंचस्थिकाए म कयाइ णासी, ण कयाइ णत्यि, ण कयाइ ण भविस्सइ, भुवि च, भवइ य भविस्सइ य, धुवे, शियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए, णिच्चे, एवामेव दुवालसंगं गणिपिडगंण कयाइ मासी, ण कयाइ णस्थि, ण कयाइ ण भविस्सइ, भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य, धुके, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए, णिच्चे / से समासओ चउविहे पण्णत्ते, तंजहा-दव्वओ, खित्तओ, कालओ, भावओ। तत्थ दवओ णं सुयणाणी उवउत्ते सव्वदव्वाई जाणइ पासइ / खित्तओ णं सुयणाणी उवउत्ते सव्वं खेत्तं जाणइ पासइ / कालओ णं सुयणाणी उवउत्ते सव्वं खेत्तं जाणइ पासइ / भावओ गं सुयणाणी उवउत्ते सव्वे भावे जाणइ पासइ // 58 // अक्स्वर सण्णी सम्म, साइयं खलु सपजवसियं च / गमिय अंगपविटुं, सत्तवि एए सपडिवक्खा // 93 / / आगमसत्थग्गहणं, जं बुद्धिगुणेहिं अट्टहिं दिटुं / बिति सुयणाणलंभं, तं पुव्वविसारया धीरा // 94 // सुस्सूसइ 1 पडिपुच्छइ 2 सुणेइ 3 गिण्हइ 4 य ईहए यावि 5 / तत्तो अपोहए 6 वा, धारेइ 7 करेइ वा सम्मं 8 // 95 // मूयं हुंकारं वा, बाढक्कारं पडिपुच्छ वीमंसा / तत्तो पसंगपारायणं च, परिणिट्ट सत्तमए // 96 // सुत्तत्थो खलु पढमो, बीओ णिज्जुत्तिमीसिओ भणिओ। तइओ य गिरवसेसो, एस विही होइ अणुओगे // 97 // सेत्तं अंगपविटुं / सेत्तं सुयणाणं / सेत्तं परोक्खणाणं / सेत्तं गंदी // 59|| // नंदीसुत्तं समत्तं //