________________ नंदीसुत्तं-णाणविहाणं 1171 ओगियवरवसभे, 'णाइलकुलवंसणं दिकरे // 44 / भूयहियअप्पगम्भे, वंदेऽहं भूय. दिण्णमायरिए / भवभयत्रुच्छेयकरे, सीसे णागज्जुणरिसीणं // 45 // सुमुणियणिच्चाणिच्चं, सुमुणियसुत्तत्थधारयं वंदे / सब्भावुभावणया-,तत्थं लोहिचणामाणं // 46 // अस्थमहत्थक्खाणिं, सुसमणवक्खाणकहणणिव्वाणि / पयईए महुरवाणिं, पयओ पणमामि दूसगणिं // 47 // [तवणियमसच्चसंजम-,विणयजवखं तिमद्दवरयाणं / सीलगुणगद्दियाणं, अणुओगजुगप्पहाणाणं // 48 // ] सुकुमालकोमलतले, तेसिं पणमामि लक्खणपसत्थे / पाए पावयणीणं, पडिच्छयसएहिं पणिवइए // 49 / / जे अण्णे भगवंते, कालियसुयआणुओगिए धीरे / ते पणमिऊण सिरसा, णाणस्स परूवणं वोच्छं // 50 // सेलघण.१ कुडग 2 चालणि 3, परिपूणग 4 हंस 5 महिस 6 मेसे 7 य। मसग 8 जलूग 9 विराली 10, जाहग 11 गो 12 भेरी 13 आभीरी 14 // 51 // सा समासओ तिविहा पण्णत्ता, तंजहा-जाणिया, अजाणिया, दुवियड्ढा / नाणिया जहा-खीरमिव जहा हंसा, जे घुटुंति इह गुरुगुणसमिद्धा / दोसे य विवज्जंति, तं जाणसु जाणियं परिसं // 52 / / अजाणिया जहा-जा होइ पगइमहुरा, मियछावयसीहकुक्कुडयभूया / रंयणमिव असंटविया, अजाणिया सा भवे परिसा // 53 / / दुव्वियड्डा जहाण य कत्थइ णिम्माओ, ण य पुच्छइ परिभवस्स दोसेणं / वत्थिव्व वायपुण्णो, फुट्टइ गामिल्लय(दुव्वि)वियट्टो / / 54 / / णाणं पंचविहं पण्णत्तं, तंजहा-आमिणिबोहियणाणं, सुयणाणं, ओहिणाणं, मणपजवणाणं, केवलणाणं // 1 // तं समासओ दुविहं पण्णत्तं, तंजहा-पच्चक्खं च परोक्खं च // 2 // से किं तं पञ्चक्खं ? पच्चक्खं दुविहं पण्णत्तं, तंजहा-इंदियपच्चक्खं णोइंदियपच्चक्खं च // 3 // से किं तं इंदियपच्चक्खं ? इंदियपंचक्खं पंचविहं पण्णत्तं, तंजहा-सोइंदियपच्चवखं चक्खिदियपञ्चक्खं घाणिदियपच्चरखं जिभिदियपच्चखं फासिंदियपच्चक्खं, से तं इंदियपच्चक्खं // 4 // से किं तं णोइंदियपच्चक्खं ? णोइंदियपच्चक्खं तिविहं पण्णत्तं, तंजहा-ओहिणाणपञ्चक्खं मणपजवणाणपञ्चक्खं केवलणाणपञ्चक्खं // 5 // से किं तं ओहिणाणपच्चक्खं ? ओहिणाणपच्चक्ख दुविहं पण्णत्तं, तंजहा-भवपच्चइयं च खाओव. समियं च // 6 // से किं तं भवपच्चइयं 1 भवपच्चइयं दुण्हं, तंजहा-देवाण य णेरइयाण य // 7 // से किं तं ख़ाओवसमियं ? खाओवसमियं दुण्हं, तंजहा-मणूसाण य पंचें. दियतिरिक्खजोणियाण य / को हेऊ खाओवसमियं ? खाओवसमियं तयावरणिजाणं कम्माणं उदिण्णाणं खएणं अणुदिण्णाणं उवसमेणं ओहिणाणं समुप्पजइ // 8 // अहवा गुणपडिवण्णस्स अणगारस्स ओहिणाणं समुप्पजइ, तं समासओ छविहं