________________ उत्तरज्झयणसुत्तं अ. 33 1151 मोक्खमुवेइ सुद्धे // 109 // सो तस्स सव्वस्स दुहस्स मुक्को, जं बाहई सययं जंतुमेयं / दोहामयं विप्पमुक्को पसत्थो, तो होइ अच्चंतसुही कयत्थो // 110 // अणाइकालप्पभवस्स एसो, सव्वस्स दुक्खस्स पमोक्खमग्गो / वियाहिओ जं समुविच्च सत्ता, कमेण अच्चंतसुही भवंति // 111 // त्ति-बेमि // इति पमायट्ठाणणामं बत्तीसइमं अज्झयणं समत्तं // 32 // . अह कम्मप्पयडी णामं तेत्तीसइमं अज्झयणं अट्ठ कम्माई वोच्छामि, आणुपुब्बिं जहक्कम / जेहिं बद्धो अयं जीवो, संसारे परिवट्टई // 1 // णाणस्सावरणिज, दंसणावरेणं तहा / वेयणिजं तहा मोहं, आउकम्म तहेव य // 2 // णामकम्मं च गोयं च, अंतरीयं तहेव य। एवमेयाइ कम्माई, अटेव उ समासओ // 3 // (1) णाणावरणं पंचविहं, सुयं आभिणिबोहियं / ओहिगाणं च तइयं, मणणाणं च केवलं // 4 // (2) णिद्दा तहेव पयली, णिहाणिद्दा पयलपयला य / तत्तो य थीणगिद्धी उ, पंचमा होइ गायव्वा // 5 // चक्खुमचक्खू ओहिस्स, दंसणे केवले य आवरणे / एवं तु णवविगप्पं, णायव्वं दंसणावरणं // 6 // (3) वेयणीयं पि य दुविहं, सायमसायं च आहियं / सायस्स उ बहू भेया, एमेव असायस्स वि // 7 // (4) मोहणिज्ज पि दुविहं, दसणे चरणे तहा / दंसणे तिविहं वुत्तं, चरणे दुविहं भवे // 8 // सम्मत्तं चेव मिच्छेत्तं, सम्मामिच्छत्तमेवं य / एयाओ तिण्णि पयडीओ, मोहणिजस्स दंसणे // 9 // चरित्तमोहणं कम्मं, दुविहं तु वियाहियं / कसायमोहणिज्जं तु, गोकसायं तहेव य // 10 // सोलसविहभेएणं, कम्मं तु कसायजं / सत्तविहं णवविहं वा, कम्मं च णोकसायजं // 11 // (5) णेरइयतिरिक्खाउं, मणुस्साउं तहेव य / देवाउयं चउत्थं तु, आउकम्मं चउव्विहं // 12 // (6) णामकम्मं तु दुविहं, सुहेमसुहं च आहियं / सुहस्स उ बहू भेया, एमेव असुहस्स वि // 13 / / (7) गोयं कम्म दुविह, उच्च णीयं च आहिय / उच्चं अट्ठविहं होइ, एवं णीयं पि आहियं // 14 / / (8) दाणे लाभे य भोगे य, उभोगे वीरिएं तहा / पंचविहमंतराय, समासेण वियाहियं // 15 // एयाओ मूलपयडीओ, उत्तराओ य आहिया / पएसग्गे खेत्तकाले य, भावं च उत्तरं सुण // 16 // सव्वेसिं चेव कम्माणं, पएसग्गमणंतगं.। गंठियसत्ताईयं, अंतो सिद्धाण आहियं / / 17 // सव्वजीवाण कम्मं तु, संगहे उदिसागयं / सम्वेसु वि पएसेसु, सव्वं सव्वेण बद्धगं / / 18 //