________________ 1144 अनंगपविट्ठसुत्ताणि विउस्सग्गो, छटो सो परिकित्तिओ // 36 / / एयं तवं तु दुविहं, जे सम्म आयरे मुणी / सो खिप्पं सव्वसंसारा, विप्पमुच्चइ पंडिओ // 37 // त्ति-बेमि // इति तवमग्गणामं तीसइमं अज्झयणं समत्तं // 30 // . .. ___ अह चरणविहिणामं एगतीसइमं अज्झयणं चरणविहिं पवक्खामि, जीवस्स उ सुहावहं / जं चरित्ता बहू जीवा, तिण्णा संसारसागरं // 1 // एगओ विरई कुज्जा, एगओ य पवत्तणं / असंजमे णियत्तिं च, संजमे य पवत्तणं // 2 // रागदोसे य दो पावे, पावकम्मपबत्तणे / जे भिक्खू रंभई णिच्चं, से ण अच्छइ मंडले // 3 // दंडाणं गारवाणं च, सल्लाणं च तियं तियं / जे भिक्खू चयई णिच्चं, से ण अच्छइ मंडले // 4 // दिव्वे य जे उवसग्गे, तहा तेरिच्छमाणुसे / जे भिक्खू सहई णिच्चं, से ण अच्छइ मंडले.॥५॥ विगहाकसायसण्णाणं, झाणाणं च दुयं तहा / जे भिक्खू वजई णिच्चं, से ण अच्छइ मंडले // 6 // वएसु इंदियत्थेसु, समिईसु किरियासु य / जे भिक्खू जयई णिच्चं, से ण अच्छइ मंडले // 7 // लेसासु उसु काएसु, छक्के आहारकारणे / जे भिक्खू जयई णिच्चं, से ण अच्छह मंडले // 8 // पिंडोग्गहपडिमासु, भयट्ठाणेसु सत्तसु / जे भिक्खू जयई णिच्चं, से ण अच्छइ मंडले ॥९॥मएसु बंभगुत्तीसु, भिवखुधम्मम्मि दसविहे ।जे भिक्खू जयई णिच्चं, से ण अच्छइ मंडले // 10 // उवासगाणं पडिमासु, भिवखूणं पडिमासु य / जे भिक्खू जयई णिच्चं, से ण अच्छइ मंडले // 11 // किरियासु भूयगामेसु, परमाहम्मिएसु य।जे भिक्खू जयई णिच्चं, से ण अच्छद मंडले॥१२॥ गाहासोलसएहि, तहा असंजमंमि य / जे भिक्खू जयई णिच्चं, से ण अच्छह मंडले // 13 // बंभंमि णायज्झयणेसु, ठाणेसु असमाहिए / जे भिक्खू जयई णिचं, से ण अच्छइ मंडले // 14 // एगवीसाए सबले, बावीसाए परीसहे / जे भिक्खू जयई णिच्चं, से ण अच्छइ मंडले // 15 // तेवीसाइ सूयगडे, रूवाहिएसु सुरेसु य / जे भिक्खू जयई णिच्चं, से ण अच्छा मंडले // 16 // पणवीसभावणासु, उद्देसेसु दसाइणं / जे भिक्खू जयई णिच्चं, से ण अच्छइ मंडले // 17 // अणगारगुणेहिं च, पगप्पंमि तहेव य / जे भिक्खू जयई णिच्चं, से ण अच्छइ मंडले // 18 // पावसुयपसंगेसु, मोहठाणेसु चेव य / जे भिक्खू जयई णिच्चं, से ण अच्छह मंडले // 19 // सिद्धाइगुणजोगेसु, तेत्तीसासायणामु य / जे भिवख जयई णिचं, से ण