________________ 1140 अनंगपविट्ठसुत्ताणि भासुज्जुययं अविसंवायणं जणयइ / अविसंवायणसंपण्णयाए णं जीवे धम्मस्स आराहए भवइ // 48 // मद्दवयाए णं भंते ! जीवे किं जणयइ ? मद्दवयाए णं जीवे अगुस्सियत जगयइ / अगुस्तियत्तेणं जीवे मिउमद्दवसंपण्णे अट्ठमयट्ठाणाई णिट्ठा- . वेइ // 49 // भावसच्चेणं भंते ! जीवे किं जणयइ ? भावसच्चेणं जीवे भावविसोहि जगयइ। भावविसो हीहिए वट्टमाणे जीवे अरहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स आराहणयाए अब्भुढेइ / अरहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स आराहणयाए अन्भुद्वित्ता परलोगधम्मस्स भवइ / / 50 // करणसच्चेणं भंते ! जीवे किं जणयइ ? करणसच्चेणं जीवे करणसत्तिं जणयइ / करणसच्चे वट्टमाणे जीवे जहावाई तहाकारी यावि भवइ // 51 // जोगसच्चेणं भंते ! जीवे किं जणयइ ? जोगसच्चेणं जीवे जोगं विसोहेइ // 52 // मणगुत्तयाए णं भंते ! जीवे किं जणयइ ? मणगुत्तयाए णं जीवे एगग्गं जणयह / एगग्गचित्ते णं जीवे मणगुत्ते संजमाराहए भवइ // 53|| वयगुत्तयाए. भंते ! जीवे किं जणयइ ? वयगुत्तयाए णं जीवे णिब्वियारत्तं जणयइ / णिव्वियारे णं जवे वइ. गुत्ते अज्झप्पजोगसाहणजुत्ते यावि भवइ // 54 // कायगुत्तयाए णं भंते ! ज वे किं जणयइ ? कायगुत्तयाए णं जीव संवरं जणयइ / संवरेणं कायगुत्ते पुणो पावासवणिरोह करेइ // 55 // मणसमाहारणयाए णं भंते ! जीवे किं जणयह ? मणसमाहारणयाए णं जीवे एगग्गं जणयइ। एगग्गं जणइत्ता णाणपजवे जणयइ / णाणपजवे जणइत्ता सम्मत्तं विसोहेइ, मिच्छत्तं च णिजरेइ // 56 // वयसमाहारणयाए णं भंते ! जावे किं जणयइ ? वयसमाहारणयाए णं जीवे वयसाहारणदंसणपजवे विसोहेइ / वयसाहारणदंसणपज्जवे विसोहित्ता सुलहबोहियत्तं णिवत्तेइ, दुलहबोहियत्तं णिजरेइ // 57 // कायसमाहारणयाए णं भंते! जीवे किं जणयइ ? कायसमाहारणयाए णं जवे चरित्तपजवे विसोहेइ / चरित्तपजवे विसोहित्ता अहक्खायचरित्तं विसोहेइ / अहक्खायं. चरित्तं विसोहेत्ता चत्तारि केवलिकम्मंसे खवेइ / तओ पच्छा सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिणिव्वायइ सव्वदुक्खाणमंतं करेइ // 58 // णाणसंपण्णयाए णं भंते ! ज वे किं जणयइ ? णाणसंपण्णयाए णं जीवे सव्वभावाहिगमं जणयइ / णाणसंपप्णे णं जवे चाउरंते संसारकंतारेण विणस्सइ। गाहा-जहा सुई ससुत्ता, पडिया ण विणरसाइ / तहा जीवे ससुत्ते, संसारे ण विणस्सइ // 1 // णाणविणयतवचरित्तजोगे संपाउणइ, ससमयपरसमयविसारए य असंघायणिज्जे भवइ // 59 // दंसणसंपण्णयाए णं भंते ! जीवे किं जणयइ ? दंसणसंपण्णयाए णं जीवे भवमिच्छत्तछेयणं करेइ,परंण विज्झायइ।