________________ 1130 अनंगपविट्ठसुत्ताणि तुन्भे जइया जण्णाणं, तुब्भे वेयविऊ विऊ। जोइसंगविऊ तु भे, तुम्भे धम्माण . पारगा // 38 // तुम्भे समत्था उद्धत्तुं, परमप्पाणमेव य / तमणुग्गहं व रेहऽग्हं, भिक्खेणं भिक्खुउत्तमा!॥३९॥ण कज्ज मज्झ भिक्खेण,खिप्पणिक्खमसू दिया.!। मा भमि हिसि भयावट्टे, घोरे संसारसागरे // 40 // उवलेवो होइ भोगेसु, अभोगी गोवलिप्पई / भोगी भमइ संसारे, अभोगी विप्पमुच्छई // 41 // रलो सुबको य दो छूढा, गोलया मट्टियामया। दो वि आवडिया कुड्डे, जो उल्लो सोऽत्थ लग्गई // 42 / / एवं लग्गति दुम्मेहा, जे णरा कामलालसा / विरत्ता उ ण लग्गति, जहा से सुक्कगोलए।॥४३॥एवं से विजयघोसे, जयघोसस्स अंतिए / अणगारस्स णिक्खंतो, धम्म सोच्चा अणुत्तरं // 44 // खवित्ता पुव्वकम्माई, संजमेण तवेण य / जयघोसविजय. घोसा, सिद्धिं पत्ता अणुत्तरं // 45 ॥'त्ति-वेमि // इति जण्णइज्जणाम पंचवीसइमं अज्झयणं समत्तं // 25 // , अह सामायारी णामं छव्वीसइमं अज्झयणं सामायारिं पवक्खामि, सव्वदुवखविमोवखणिं / जं चरित्ताण णिग्गंथा, तिण्णा संमारसागरं // 1 // पढमा आवस्सिया णाम, बिइया य णिसी हिया / आपुच्छणा य तइया, च उत्थी पडिपुच्छणा // 2 // पंचमी छंदणा णाम, इच्छाकारो य छट्टओ। सत्तमो मिच्छाकारो य, तहक्कारो य अट्ठमो // 3 // अब्भुट्ठाणं च णवमं, दसमी उवसंपया / एसा दसंगा साहूणं, सामायारी पवेइया // 4|| रमणे आवरिसयं कु.जा, ठाणे कुजा णिसीहियं / आपुच्छणं सयंकरणे, परकरणे पडि पुच्छा // 5 // छंदणा दव्यजाएण, इच्छाकारो य सारणे / मिच्छाकारो य जिंदाए, तहकारो पडिम्सुए // 6 // अब्भुट्ठाणं गुरुपूया, अच्छणे उवसंपया। एवं दुपंचसंजुत्ता; सामायारी पवेइया // 7 // पुविल्लंमि चउभाए, आइच्चमि समुट्ठिए। भंडयं पडिले हित्ता, वंदित्ता य तओ गुरुं // 8 // पुच्छिज पंजलीउडो, किं कायव्वं मए इह / इच्छं णिओइउं भंते !, वेयावच्चे व सज्झाए // 9 // वेयावच्चे णिउत्तेग, कायव्वं अगिलायओ / सज्झाए वा णिउत्तेण, सव्वदुक्खविमोक्खणे // 10 // दिवसस्स चउरो भागे, भिक्खू कुजा वियवखणो / तओ उत्तरगुणे कुजा, दिणभागेसु चउसु वि // 11 // पढमं पोरिसि सज्झाय, बीयं झाणं झियायई / तइयाए भिक्खायरियं, पुणो चउत्थीइ सज्झायं // 12 // असाढे मासे दुपया, पोसे मासे चउप्पया।