________________ 1126 अनंगपविट्ठसुत्ताणि . बुत्ते ?, केसी गोयममब्रवी। केसिमेवं बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी / / 62 // कुप्पवयणपासंडी, सव्वे उम्मगपट्ठिया / सम्मग्गं तु जिणक्खायं, एस मग्गे हि उत्तमे // 63 // साहु गोयम ! पण्णा ते, छिण्णो मे संसओ इमो / अण्णो वि संसओ मज्झं, तं मे कहसु गोयमा ! // 64 // महाउदगवेगेण, वुज्झमाणाण पाणिणं, सरणं गई पइट्ठा य, दीवं कं मण्णसी मुणी ? // 65 // अस्थि एगो महादीवो, वारिमज्झे महालओ।महाउदगवेगस्स, गई तत्थ ण विजई // 66 // दीवे य इइ के वुत्ते ?, केसी गोयममब्बवी / केसिमेवं बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी // 67 / / जरामरणवेगेणं, वुज्झमाणाण पाणिणं / धम्मो दीवो पइट्ठा य, गई सरणमुत्तमं // 68 // साहु गोयम ! पण्णा ते, छिण्णो मे संसओ इमो / अण्णो वि संसओ मज्झं, तं मे कहसु गोयमा ! // 69 // अण्णवंसि महोहंसि; णावा विपरिधावई / जंसि गोयम ! आरूढो, कहं पारं गमिस्ससि 1 // 70 // जा उ अस्साविणी णावा, ण सा पारस्स गामिणी। जा णिरस्साविणी णावा, सा उ पारस्स गामिणी // 72 // णावा य इद्द का वुत्ता / केसी गोयममब्बवी / केसिमेवं बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी / / 72 // सरीरमाहु णावत्ति, जीवो वुच्चइ णाविओ। संसारो अण्णवो वुत्तो, जं तरंति महे सिणो |73 / / साहु गोयम ! पण्णा ते, छिण्णो मे संसओ इमो। अण्णो वि संसओ मज्झं, तं मे कहसु गोयमा ! // 74 // अंधयारे तमे घोरे, चिटुंति पाणिणो बहू। को करिस्सइ उज्जोयं ? सव्वलोयम्मि पाणिणं // 75 / / उग्गओ विमलो भाणू , सव्वलोयपभंकरो। सो करिस्सइ उज्जोयं, सव्वलोयंमि पाणिणं // 76|| भाणू य इइ के वुत्ते ?, केसी गोयममब्बवी / केसिमेवं बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी // 77 // उग्गओ खीणसंसारो, सवण्णू जिणभक्खगे / सो करिस्सइ उज्जोयं, सव्वलोयंमि पाणिणं / / 78 // साहु गोयम ! पण्णा ते, छिण्णो मे संसओ इमो / अण्णो वि संसओ मज्झं, तं मे कहसु गोयमा ! // 79 // सारीरमाणसे दुक्खे, वज्झमाणाण पाणिणं / खेमं सिवमणाबाई, ठाणं किं मण्णसी मुणी ? |80 // अस्थि एगं धुवं ठाणं, लोगग्गंमि दुरारुहं / जत्थ णत्थि जरा मच्चू, वाहिणो वेयणा तहा // 81 // ठाणे य इइ के वुत्ते ?, केसी गोयममब्बवी / केसिमेवं बुवंतं तु,गोयमो इणमब्बवी // 82 / / णिव्वाणं ति अबाहं ति, सिद्धी लोगग्गमेव य / खेमं सिवं अणाबाई, जं चरंति महे सिणो ||83 // तं टाणं सासयं वासं, लोयग्गंमि दुरारुहं / जं संपत्ता ण सोयंति, भवोहंतकरा मुणी ! // 84|| साई गोयम ! पण्णा ते, छिण्णो मे संसओ इमो। णमो ते संसयातीत !, सव्वसुत्तमहोयही // 85 // एवं तु संसए छिण्णे, केसी घोरपरक्कमे / अभिवंदित्ता सिरसा, गोयमं तु