________________ 1122 अनंगपविट्ठसुत्ताणि कओ, देवा जहोइयं समोइण्णा / सध्विड्डीइ सपरिसा, णिक्खमणं तस्स काउं जे . // 21 // देवमणुस्सपरिवुडो, सीयारयणं तओ समारूढो / णिक्खमिय बारगाओ,रेवययम्मि ठिओ भगवं ||22|| उजाणं संपत्तो, ओइण्णो उत्तमाउ सीयाओ / साहस्सीइ परिवुडो,अह णिक्खमई उ चित्ताहिँ ॥२३॥अह से सुगंधगंधीए, तुरियं मउयकुंचिए। सयमेव लुचई केसे, पंचमुट्ठीहिं समाहिओ // 24 // वासुदेवो य णं भणइ, लुत्तकेसं जिइंदियं / इच्छियमणोरहं तुरियं, पावसु तं दमीसरा ! // 25 // णाणेणं दंसणेणं च, चरित्तेण तहेव य / खेतीए मुत्तीए, वड्डमाणो भवाहि य // 26 // एवं ते रामकेसवा, दसारा य बहू जणा। अरिट्ठमि वंदित्ता, अइगया बारगापुरि // 27 // सोऊण रायकण्णा, पव्वज्जं सा जिणस्स उ। णीहासा य णिराणंदा, सोगेण उ समुच्छिया / / 28 // राईमई विचिंतेइ, घिरन्थु मम जीवियं / जाऽहं तेण परिच्चत्ता, सेयं पव्वइउं मम ||29|| अह सा भमरसण्णिभे, कुच्चफणगपसाहिए / सयमेव लुचई केसे, धिइमंता ववस्सिया // 30 // वासुदेवो य णं भणइ, लुत्तकेसं जिइंदियं / संसारसागरं घोरं, तर कण्णे ! लहुं लहुं // 31 // सा पव्वइया संती, पव्वावेसी तहिं बहुं / सयणं परियणं चेव, सीलवंता बहुस्सुया // 32 / / गिरिं रेवययं जंती, वासेणुल्ला उ अंतरा। वासंते अंधयारंमि, अंतो लयणस्स सा ठिया // 33 // चीवराई विसारंती, जहाजायत्ति पासिया। रहणेमी भंगचित्तो, पच्छा दिट्ठो य तीइ वि // 34 // भीया य सा तहिं दटुं, एगंते संजयं तयं / बाहाहिं काउं संगोप्फ, वेवमाणी णिसीयई // 35 // अह सो वि रायपुत्तो, समुद्दविजयंगओ। भीयं पवेवियं दट्टुं इमं वक्कमुदाहरे // 36 / / रहणेमी अहं भद्दे !, सुरूवे ! चारुभासिणी ! / ममं भयाहि सुयणु !, ण ते पीला भविस्सई // 37 // एहि ता भुंजिमो भोए, माणुस्सं खु सुदुल्लहं / भुत्तभोगी तओ पच्छा, जिणमग्गं चरिस्समो // 38 // दळूण रहणेमि तं, भग्गुज्जोयपराजियं / राईमई असंभंता, अप्पाणं संवरे तहिं // 39 // अह सा रायवरकण्णा, सुट्टिया णियमवए / जाई कुलं च सीलं च, रक्खमाणी तयं वए // 40 // जइऽसि रूवेण वेसमणो, ललिएण णलकूबरो / तहा वि ते ण इच्छामि, जइऽसि सक्खं पुरंदरो // 41 // पक्खंदे जलियं जोई, धूमकेउंदुरासयं / णेच्छंति वंतयं भोत्तुं कुले जाया अगंधणे // 42 // धिरत्थु तेऽजसोकामी, जो तं जीवियकारणा / वंतं इच्छसि आवेडं, सेयं ते मरणं भवे // 43 / / अहं च भोगरायस्स, तं च सि अंधगवण्हिणो / मा कुले गंधणा होमो, संजमं णिहुंओ चर // 44 // जइ