________________ 1120 अनंगपविट्ठसुत्ताणि सदेसमह पत्थिओ // 3 // अह पालियस्स घरणी, समुद्दम्मि पसवई / अह बालए तहिं जाए, समुद्दपालित्ति णामए // 4 // खेमेण आगए चंपं, सावए वाणिए घरं / संवड्ढई तस्स घरे, दारए से सुहोइए // 5 // बावत्तरी कलाओ य, सिक्खई गाइ. कोविए / जोव्वणेण य संपण्णे, सुरूवे पियदंसणे // 6 // तस्स रूववइं भज्जं, पिया आणेइ रूविणिं / पासाए कीलए रम्मे, देवो दोगुंदओ जहा // 7 // अह अण्णया कयाई, पासायालोयणे ठिओ। वज्झमंडणसोभागं, वझं पासइ वज्झगं // 8 // तं पासिऊण संविग्गो, समुद्दपालो इणमब्बवी। अहोऽसुभाण कम्माणं, णिजाणं पावगं इमं // 9 // संबुद्धो सो तहिं भयवं, परमसंवेगमागओ। आपुच्छऽम्मापियरो, पव्वए अणगारियं // 10 // जहित्तु सगंथ महाकिलेस, महंतमोहं कसिणं भयावहं / परियायधम्मं चऽभिरोयएजा, वयाणि सीलाणि परीसहे य // 11 // अहिंससच्चं च अतेणगं चं, तत्तो य बंभ अपरिग्गहं च / पडिवज्जिया पंचमइव्वयाणि, चरिज धम्मं जिणदेसियं विद् // 12 // सव्वेहिं भूएहिं दयाणुकंपी, खंतिक्खमे संजयवंभयारी / सावजजोगं परिवजयंतो, चरिज भिक्खू सुसमाहिइंदिए // 13 // कालेण कालं विहरेज रट्टे, बलाबलं जाणिय अप्पणो य / सीहो व सद्देण ण संतसेजा, वयजोग सुच्चा ण असब्भमाहु // 14 // उवेहमाणो उ परिव्वएजा, पियमप्पियं सव्व तितिखएजा। ण सव्व सव्वत्थऽभिरोयएजा, ण यावि पूर्व गरहं च संजए // 15 // अणेगछंदा इह माणवेहि, जे भावओ संपगरेइ भिक्खू / भयभेरवा तत्थ उइंति भीमा, दिव्वा मणुस्सा अदुवा तिरिच्छा // 16 // परीसहा दुव्विसहा अणेगे, सीयंति जत्था बहुकायरा णरा / से तत्थ पत्ते ण वहिज भिक्खू , संगामसीसे इव णागराया // 17 // सीओसिणा दंसमसा य फासा, आयंका विविहा फुसंति देहं / अकुक्कुओ तत्थऽहियासएजा, रयाई खेवेज पुराकयाइं // 18 // पहाय रागं च तहेव दोसं, मोहं च भिक्खू सययं वियक्खणो। मेरुव्व वाएण अकंपमाणो, परीसहे आयगुत्ते सहेजा // 19 // अणुण्णए णावणए महेसी, ण यावि पूयं गरहं च संजए / स उज्जुभावं पडिवज संजए, णिव्वाणमग्गं विरए उवेइ // 20 // अरइ. रइसहे पहीणसंथवे, विरए आयहिए पहाणवं / परमट्ठपएहिं चिट्ठई, छिण्णसोए अममे अकिंचणे // 21 // विवित्तलयणाई भएज ताई, णिरोवलेवाइं असंथडाई / इसीहि चिण्णाई महायसेहिं, काएण फासेज परीसहाई / / 22 / / सण्णाणणाणोवगए महेसी, अणुत्तरं चरिउ धम्मसंचयं / अणुत्तरे णाणधरे जसंसी, ओभासई सूरिए वंतलिक्खे // 23 // दुविहं खवेऊण य पुण्णपावं, णिरंगणे सव्वओ विप्पमुक्के / तरित्ता समुदं