________________ उत्तरज्झयणसुत्तं अ. 20 1119 // 45 // तमं तमेणेव उ से असले, सया दुही विपरियामुवेइ / संधावई णरगतिरिक्खजोणिं, मोणं विराहेत्तु असाहुरूवे // 46 / / उद्देसियं कीयगडं णियागं, ण मुंचई किंचि अणेसणिज्जं / अग्गी विवा सबभक्खी भवित्ता, इत्तो चुए गच्छइ कटु पावं // 47 // ण तं अरी कंठछेत्ता करेइ, जं से करे अप्पणिया दुरप्पया / से णाहिई मच्चुमुहं तु पत्ते, पच्छाणुतावेण दयाविहूणो // 48 / / णिरहिया णग्गरुई उ तस्स, जे उत्तमढे विवजासमेइ / इमे वि से पत्थि परे वि लोए, दुहओ वि से झिज्झइ तत्थ लोए // 49 / / एमेवऽहाछंदकुसीलरूवे, मग्गं विराहित्तु जिणुत्तमाणं / कुरी विवा भोगरसाणुगिद्धा, णिरट्ठसोया परियावमेइ // 50 // सोच्चाण मेहावि ! सुभासियं इमं, अणुसासणं णाणगुणोववेयं / मग्गं कुसीलाण जहाय सव्वं, महाणियंठाण वए पहेणं // 51 // चरित्तमायारगुणण्णिए तओ, अणुत्तरं संजम पालियाणं / णिरासवे संखवियाण कम्मं, उवेइ ठाणं विउलुत्तमं धुवं // 52 // एवुग्गदंते वि महातवोधणे, महामुणी महापइण्णे महायसे / महाणियंठिजमिणं महास्यं, से कहेई महया वित्थरेणं // 53 // तुट्ठो य सेणिओ राया, इणमुदाहु कयंजली। अणाहत्तं जहाभूयं, सुट्ट मे उवदंसियं / / 54 / / तुझं सुलद्धं खु मणुस्सजम्म, लाभा सुलद्धा य तुमे महेसी ! तुम्भे सणाहा य सबंधवा य, जं मे ठिया मग्गे जिणुत्तमाणं // 55 // तं सि णाहो अणाहाणं, सव्वभूयाण संजया ! खामेमि ते महाभाग!, इच्छामि अणुसासिउं // 56 // पुच्छिऊण मए तुभं, झाणविग्यो उ जो कओ / णिमंतिया य भोगेहि, तं सव्वं मरिसेंहि मे // 57 // एवं थुणित्ताण स रायसीहो, अणगारसीहं परमाइ भत्तिए। सओरोहो सपरियणो सबंधवो, धम्माणुरत्तो विमलेण चेयसा // 58 // ऊससियरोमकूवो, काऊण य पयाहिणं / अभिवंदिऊण सिरसा, भइयाओ गराहिवो // 59 // इयरो वि गुणसमिद्धो, तिगुत्तिगुत्तो तिदंडविरओ य / विहग इव विप्पमुक्को, विहरइ वसुहं विगयमोहो // 60 // त्ति-बेमि // इति महाणियंठिज्जणामं वीसइमं अज्झयणं समत्तं // 20 // अह समुद्दपालीयं णामं एगवीसइमं अज्झयणं ...चंपाए पालिए .णाम, सावए आसि वाणिए / महावीरस्स भगवओ, सीसे सो उ . महप्पणो / / 1 / / णिग्गंथे पावयणे, सावए से वि कोविए / पोएण ववहरंते, पिहुंड णगरमागए // 2 // पिहुंडे ववहरंतस्स, वाणिओ देइ धूयरं / तं ससत्तं पइगिज्झ,