________________ उत्तरज्झयणसुत्तं अ. 19 1 113 तवणियमसंजमधरं, सीलड्ढे गुणआगरं // 5 // तं देहई मियापुत्ते, दिट्ठीए अणि. मिसाए उ / कहिं मण्णेरिसं रूवं, दिट्टपुव्वं मए पुरा // 6 / / साहुस्स दरिसणे तस्स, अज्झवसाणम्मि सोहणे / मोहं गयस्स संतस्स, जाईसरणं समुप्पण्णं // 7 // [देवलोगचुओ संतो, माणुसं भवमागओ। सणिणाणे समुप्पण्णे, जाइं सरइ पुराणियं / / ] जाईसरणे समुप्पण्णे, मियापुत्ते महिड्डिए / सरई पोराणियं जाइं, सामण्णं च पुरा कयं / / 8 // विसएहि अरज्जंतो, रज्जतो संजमंमि य / अम्मापियरमुवागम्म, इमं वयणमब्बी // 9 // सुयाणि मे पंच महव्वयाणि, णरएसु दुक्खं च तिरिक्खजोणिसु / णिविण्णकामोमि महण्णवाओ, अणुजाणह पव्वहस्सामि अम्मो ! // 10 // अम्मताय ! मए भोगा, भुत्ता विसफ्लोवमा / पच्छा कडुयविवागा, अणुबंधदुहावहा // 11 // इमं सरीरं अणिच्चं, असुइं असुइसंभवं / असासयावासमिणं, दुक्खकेसाण भायणं // 12 // असासए सरीरंमि, रई णोवलभामहं / पच्छा पुरा व चइयव्वे, फेणबुब्बुयसण्णिभे // 13 // माणुसत्ते असारंमि, वाहीरोगाण आलए / जरामरणपत्थंमि, खणं पि ण रमामहं / / 14 / जम्मं दुक्खं जरा दुक्खं, रोगा य मरणाणि य। अहो ! दुक्खो हु संसारो, जत्थ कीमति जंतुणो // 15 / / खेत्तं वत्थु हिरण्णं च, पुत्तदारं च बंधवा / चइत्ताणं इमं देहं, गंतव्वमवसस्स मे // 16 // जहा किंपागफलाणं, परिणामो ण सुंदरो / एवं भुत्ताण भोगाणं, परिणामो ण सुंदरो / / 17 // अद्धाणं जो महंतं तु, अपाहेओ पवजई। गच्छंतो सो दुही होइ, छुहातहाए पीडिओ // 18 / / एवं धम्मं अकाऊणं, जो गच्छइ परं भवं / गच्छंतो सो दुही होइ, वाहीरोगेहिं पीडिओ // 19 // अद्धाणं जो महंतं तु, सपाहेओ पवजई। गच्छंतो सो सुही होइ, छुहातहाविवजिजओ ! // 20 // एवं धन्म पि काऊणं, जो गच्छइ परं भवं / गच्छंतो सो सुही होइ, अप्पकम्मे अवेयणे // 21 // जहा गेहे पलित्तम्मि, तस्स गेहस्स जो पहू / सारभंडाणि णीणेइ, असारं अवरज्झइ // 22 // एवं लोए पलित्तम्मि, जराए मरणेण य / अप्पाणं तारइस्सामि, तुमहिं अणुमण्णिओ // 23 // तं बिंतऽम्मापियरो, सामण्णं पुत्त ! दुचरं / गुणाणं तु सहस्साई, धारेय. व्वाई भिक्खुणा // 24 // समया सव्वभूएसु, सत्तुमित्तेसु वा जगे / पाणाइवायविरई, जावज्जीवाए दुकरं // 25 / / णिच्चकालऽप्पमत्तेणं, मुसावायविवजणं / भासियवं हिन्यं सच्चं, णिच्चाउत्तेण दुक्करं / / 26 // दंतसोहणमाइम्स, अदत्तस्स विवजणं / अणवज्जेसणिजस्स, गिण्हणा अवि दुक्करं // 27 // विरई अबंभचेरस्स, कामभोगरसण्णुणा / उग्गं महव्वयं बंभ, धारेयव्वं सुदुक्करं // 28 // धणधण्णपेसवग्गेसु, परि