________________ - 1112 अनंगपविट्ठसुत्ताणि : रज्जे ठवेऊणं, सो वि राया तवं चरे // 37 // चइत्ता भारहं वासं, चकवट्टी महि. डिओ / संती संतिकरे लोए, पत्तो गइमणुत्तरं // 38|| इक्खागरायवसभो, कुंथू णाम परीसरो / विक्खायकित्ती भगवं, पत्तो गइमणुत्तरं // 39 // सागरंतं चइत्ताण, भरहे णरवरीसरो / अरो य अरयं पत्तो, पत्तो गइमणुत्तरं // 40 // चइत्ता भारहं वासं, चक्कवट्टी महिडिओ / चइत्ता उत्तमे भोए, महापउमे तवं चरे / / 41 // एगच्छत्तं पसाहित्ता, महिं माणणिसूरणो / हरिसेणो मणुस्सिंदो, पत्तो गइमणुत्तरं // 42 // अण्णिओ रायसहस्सेहि, सुपरिच्चाई दमं चरे / जयणामो जिणक्खायं, पत्तो गइमणुत्तरं // 43 // दसण्णरज्जं मुदियं, चइत्ताणं मुणी चरे / दसण्णभद्दो णिक्खंतो, सक्वं सक्केण चोइओ // 44 // णमी णमेइ अप्पाणं, सक्खं सक्केण चोइओ / चइऊण, गेहं वहदेही, सामण्णे पज्जुवढिओ // 45 // करकंडू कलिंगेसु, पंचालेसु य दुम्मुहो। णमी राया विदेहेसु, गंधारेसु य णग्गई // 46 // एए गरिदवसभा, णिक्खता जिगसासणे / पुत्ते रज्जे ठवेऊणं, सामण्णे पज्जुवट्ठिया // 47 // सोवीररायवसभो, चइ. त्ताणं मुणी चरे / उदायणो पव्वइओ, पत्तो गइमणुत्तरं // 48|| तहेव कासिराया वि, सेओ सच्चपरक्कमे / कामभोगे परिच्चज, पहणे कम्ममहावणं // 49 // तहेव विजओ राया, अणट्ठाकित्ति पव्वए / रज्जं तु गुणसमिद्धं, पयहित्तु महाजसो॥५०॥ तहेवुग्गं तवं किच्चा, अव्वक्खित्तेण चेयसा। महब्बलो रायरिसी, आदाय सिरसा सिरिं // 51 // कहं धीरो अहेऊहिं, उम्मत्तो व महिं चरे 1 / एए विसेसमादाय, सूरा दढपरक्कमा // 52 // अच्चंतणियाणखमा, सच्चा मे भासिया वई / अतरिंसु तरंतेगे, तरिस्संति अणागया // 53 // कहिं धीरे अहेऊहिं, अत्ताणं परियावसे / सव्वसंगविणिम्मुक्के, सिद्धे भवइ णीरए ॥५४॥त्ति-बेमि // इति संजइज्जणामं अट्ठारसममज्झयणं समत्तं // 18 // अह मियापुत्तीयं णामं एगूणवीसइमं अज्झयणं सुग्गीवे णयरे रम्मे, काणणुजाणसोहिए। राया बलभद्दित्ति, मिया तस्सग्गमाहिसी // 1 // तेसिं पुत्ते बलसिरी, मियापुत्ते त्ति विस्सुए। अम्मापिऊण दइए, जुवराया दमीसरे // 2 // गंदणे सो उ पासाए, कीलए सह इथिहिं / देवे दोगुदगे चेव, णिच्चं मुइयमाणसो // 3 / / मणिरयणकोट्टिमतले, पासायालोयट्ठिओ। आलो. एइ णगरस्स, चउक्कत्तियचच्चरे // 4 // अह तत्थ अइच्छंतं, पासई समणसंजयं /