________________ उत्तरज्झयणसुत्तं अ. 18 1111 // 13 // दौराणि य सुया चेव, मित्ता य तह बंधवा / जीवंतमणुजीवंति, मयं णाणुव्वयंति य // 14 ॥णीहरंति मयं पुत्ता, पियरं परमदुक्खिया / पियरो वि तहा पुत्ते, बंधू रायं ! तवं चरे // 15 // तओ तेणऽज्जिए दवे, दारे य परिरक्खिए / कीलंतिऽण्णे णरा रायं !, हतुहमलंकिया // 16 // तेणावि जं कयं कम्मं, सुहं वा जइ वा दुहं / कम्मुणा तेण संजुत्तो, गच्छई उ परं भवं // 17 // सोऊण तस्स सो धम्म, अणगारस्स अंतिए / महया संवेगणिव्वेयं, समावण्णो णराहिवो // 18 // संजओ चइउं रज्जं, णिक्खंतो जिणसासणे / गद्दभालिस्स भगवओ, अणगारस्स अंतिए // 19 // चिच्चा रटुं पव्वइए, खत्तिए परिभासई / जहा ते दीसई रूवं, पसण्णं ते तहा मणो // 20 // किं णामे किं गोत्ते, कस्सट्टाए व माहणे / कहं पडियरसी बुद्धे, कहं विणीए: त्ति वुच्चसी ? // 21 // संजओ णाम णामेणं, तहा गोत्तेण गोयमो / गद्दभाली ममायरिया, विजाचरणपारगा // 22 // किरियं अकिरियं विणयं, अण्णाणं च महामुणी / एएहिं चउहिं ठाणेहि, मेयण्णे किं पभासई // 23 // इई पाउकरे बुद्धे, णायए परिणिन्बुए / विजाचरणसंपण्णे, सच्चे सच्चपरकमे // 24 // पडति णरए घोरे, जे णरा पावकारिणो / दिव्वं च गई गच्छंति, चरित्ता धम्ममारियं // 25 // मायावुइयमेयं तु, मुसा भासा णिरस्थिया / . संजममाणो वि अहं, वसामि इरियामि य // 26 // सव्वेए विइया मज्झं, मिच्छा. दिट्ठी अणारिया / विजमाणे परे लोए, सम्मं जाणामि अप्पयं // 27 // अहमासि महापाणे, जुइमं वरिससओवमे / ना सा पाली महापाली, दिव्वा वरिससओवमा // 28 // से चुए बंभलोगाओ, माणुसं भवमागए। अप्पणो य परेसिं च, आउं जाणे जहा तहा // 29 ॥णाणारुइं च छंदं च, परिवज्जेज संजए / अणट्ठा जे य सव्वत्था, इह विजामणुसंचरे // 30 // पडिकमामि पसिणाणं, परमंतेहिं वा पुणो। अहो! उठ्ठिए अहोरायं, इइ विजा तवं चरे // 31 // जं च मे पुच्छसी काले, सम्म सुद्धेण चेयसा / ताई पाउकरे बुद्धे, तं गाणं जिणसासणे // 32 // किरियं च रोयई धीरे, अकिरियं परिवजए / दिट्ठीए दिट्ठिसंपण्णे, धम्मं चर सुदुच्चरं // 33 // एयं पुण्णपयं सोचा, अत्थधम्मोवसोहियं / भरहो वि भारहं वासं, चिच्चा कामाइ पव्वए // 34 // सगरो वि सागरंतं, भरहवासं णराहिवो / इस्सरियं केवलं हिच्चा, दयाई परिणिव्वुडे // 35 // चइत्ता भारहं वासं, चक्कवट्टी महिडिओ। पव्वजमब्भुवगओ, मघवं णाम महाजसो // 36 // सणंकुमारो मणुस्सिंदो, चक्कवट्टी महिडिओ / पुत्तं