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________________ जंबुद्दीवपण्णत्ती व. 3 643 भुंजमाणे विहरइ // 52 // तए णं से भरहे राया अण्णया कयाई सुसेणं सेणावइं सद्दावेइ 2 त्ता एवं वयासी-गच्छ णं खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेहि 2 त्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहित्ति, तए णं से सुसेणे सेणावई भरहेणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्ठ चित्तमागं दिए जाव करयलपरिमाहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट जाव पडिसुणेइ 2 त्ता भरहस्स रण्णो अंतियाओ पडिणिक्खमइ 2 त्ता जेणेव सए आवासे जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता दब्भसंथारगं संथरइ जाव कयमालस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिप्हइ पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव अट्ठमभत्तंसि परिणममाणसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्चइ 2 त्ता हाए कयबलिकम्मे कयकोउयमंगल-पायच्छिते. सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहन्धाभरणालंकियसरीरे धूवपुप्फगंधमलहत्थगए मजणघराओ पडिणिवख्मइ 2 त्ता जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स. बहवे राईसरतलवरमाउंबिय जाव सत्थवाहप्पमियओ अप्पेगइया उप्पलहत्थगया जाव सुसेणं सेणावई पिट्ठओ 2 अणुगच्छंति, तए णं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स बहुईओ खुजाओ चिलाइयाओ जाव इंगियचिंतियपन्थियवियाणियाओ पिउणकुसलाओ विणियाओ अप्पेगइयाओ कलसहत्थगयाओ जाव अणुगच्छंति / तए णं से सुसेणे सेणावई सव्विड्डीए सव्वजुईए जाव णिहोसणाइएणं जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव उवागच्छइ 2 रा आलोए कवाडाणं पणामं करेइ 2 त्ता लोमहत्थगं परामुसइ 2 त्ता तिमिसगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस कवाडे लोमहत्येणं पमजइ 2 त्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेइ 2 त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितले चच्चए दलइ 2 त्ता अन्गेहिं वरेडिं गंधेहिय मल्लेहि य अच्चिणेइ, अच्चिणित्ता पुष्फारहणं जाव वत्थारुहणं करेइ, करित्ता आसत्तोसत्तविउलवट्ट जाव करेइ करित्ता अच्छेहिं सण्णेहिं रयया. मएहिं अच्छरसातंडुलेहिं तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडाणं पुरओ अट्ठट्ट मंगलए आलिहइ, तंजहा-सोत्थिय सिविच्छ जाव कयग्गहगहिय-करयल-पब्भट्ठ'चंदप्पह-वहर-वेरुलिय-विमलदंडं जाव धूवं दलयइ, दलयित्ता वामं जाणु अंचेइ, अंचेत्ता करयल जाव मत्थए अंजलिं कट्ट कवाडाणं पणामं करेइ, करित्ता दंडरयणं परामुसइ, तए णं तं दंडरयणं पंचलइयं वइरसारमइयं विणासणं सव्वसत्तुसेण्णाणं
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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