________________ उत्तरज्झयणसुत्तं अ. 15 1105 आमिसं सव्वमुज्झित्ता, विहरिस्सामि णिरामिसा // 46 // गिद्धोवमा उ णचाणं, कामे संसारवडणे / उरगो सुवण्णपासेव्व, संकमाणो तणु चरे // 47 / / णागोव्व बंधणं छित्ता, अप्पणो वसहिं वए। एयं पत्थं महारायं, उस्सुयारित्ति मे सुयं // 48 // चइत्ता विउलं रज्ज,कामभोगे य दुच्चए / णिव्विसया णिरामिसा,णिण्णेहा णिप्परिग्गहा // 49 // सम्मं धम्मं वियाणित्ता, चिच्चा कामगुणे वरे / तवं पगिज्झहक्खायं, घोरं घोरपरक्कमा // 50 // एवं ते कमसो बुद्धा,सव्वे धम्मपरायणा / जम्ममच्चुभउविन्गा, दुक्खस्संतगवेसिणो // 51 // सासणे विगयमोहाणं, पुट्विं भावणभाविया / अचिरेणेव कालेण, दुक्खस्संतमुवागया // 52 / / राया सह देवीए, माहणो य पुरोहिओ / माहणी दारगा चेव, सव्वे ते परिणिन्वुडा // 53 // त्ति-बेमि // इति उसुयारिज्जं णामं चउद्दसममज्झयणं समत्तं // 14 // अह सभिक्खू णामं पण्णरसममज्झयणं मोणं चरिस्सामि समिच्च धम्म, सहिए उज्जुकडे णियाणछिण्णे / संथवं जहिज्ज भकामकामे, अण्णायएंसी परिव्वए स भिक्खू // 1 // राओवरयं चरेज लाढे, विरए वेयवियायरक्खिए / पण्णे अमिभूय सव्वदंसी, जे कम्हि वि ण मुच्छिए स भिक्खू // 2 // अक्कोसवहं विइत्तु धीरे, मुणी चरे लाढे णिच्चमायगुत्ते / अव्वग्गमणे असंपहिढे, जे कसिणं अहियासए स भिक्खू // 3 // पंतं सयणासणं भइत्ता, सीउण्हं विविहं च दंसमसगं / * अब्वग्गमणे असंपहिढे, जे क सिणं अहियासए स भिवखू // 4 // णो सक्कइमिच्छई ण पूयं, णो वि य वंदणगं कुओ पसंसं / से संजए सुव्वए तवस्सी, सहिए आयगवेसए स भिक्खू // 5 // जेण पुण जहाइ ज.वियं, मोहं वा कसिणं णियच्छई / णरणारि पजहे सया तवस्सी, ण य कोऊहलं उवेइ स भिक्खू // 6 // छिणं सरं भोमं अंतलिक्खं, सुमिणं लक्खणदंडवत्थुविज्जं / अंगवियारं सरस्स विजयं, जे विजाहिँ ण जीवइ स भिक्खू // 7 // मंतं मूलं विविहं वेजचिंतं, वमणविरेवणधूमणेत्तसिणाणं / आउरे सरणं तिगिच्छियं च, तं परिण्णाय परिव्वए स भिक्खू // 8 // . खत्तियगणउग्गरायपुत्ता, माहण भोइय विविहा य सिप्पिणो / णो तेसिं वयह सिलोगपूयं, तं परिण्णाय परिव्वए स भिक्खू // 9 // गिहिणो जे पव्वइएण दिट्ठा; अप्पव्वइएण व संथुया हविजा / तेसिं इहलोइयफलट्ठा, जो संथवं ण करेइ स भिक्खू // 10 // सयणासणपाणभोयण, विविहं खाइमं साइम परेसिं / अदए पडिसेहिए णियंठे, जे तत्थ ण पउस्सई स भिक्खू // 11 // जं किंचि