________________ . उत्तरज्झयणसुत्तं अ. 13 1101 मंहिड्डीओ; बंभदत्तो महायसो / भायरं बहुमाणेणं, इमं वयणमब्बवी // 4 // आसिमो भायरा दो वि, अण्णमण्णवसाणुगा / अण्णमण्णमणूरत्ता, अण्णमण्ण हिए सिणो // 5 // * दासा दसण्णे भासी, मिया कालिंजरे जगे। हंसा मयंगत रे, सोवागा कासिभूमिए // 6 // देवा य देवलोगम्मि, आसि अम्हे महिडिया। इमा णो ट्ठिया जाई, अण्ण. मण्णेण, जा विणा ॥७॥कम्मा णियाणपगडा, तुमे राय ! विचिंतिया। तेर्सि पलविवा. गेण, विप्पओगमुवागया // 8 // सच्चसोयप्पगडा,कम्मा मए पुरा कडा / ते अज परिभुंजामो, किं णु चित्ते वि से तहा ? // 9 // सव्वं सुचिण्णं सपलं णराणं, कडाण कम्माण ण मोक्ख भत्थि / अत्थेहि कामेहि य उत्तमेहिं, आया ममं पुण्णप.लोववेए // 10 // जाणासि संभूय ! महाणुभागं, महिड्डियं पुण्णपलोववेयं / चित्तं पि जाणाहि तहेव राय !, इड्डी जुई तस्स वि य प्पभूया // 11 // महत्थरूवा वयणऽप्पभूया, गाहाणुगीया णरसंघमज्झे / जं भिक्खुणो सीलगुणोववेया, इह नयंते समणोमि जाओ // 12 // उच्चोयए महु कक्के य बंभे, पवेइया आवसाहा य रम्मा / इमं गिहं चित्त ! धणप्पभूयं, पसाहि पंचालगुणोववेयं // 13 // णट्टेहिं गीए हि य वाइएहि, णारीजणाइं परिवारयंतो / भुंजाहि भोगाई इमाइ भिक्खू !, मम रोयई पव्वजा हु दुक्खं // 14 // तं पुवणेहेण कयाणुरागं, णराहिवं कामगुणेसु गिद्धं / धम्मस्सिओ तस्स हियाणुपेही, चित्तो इमं वयणमुदाहरित्था // 15 // सव्वं विलवियं गीयं, सव्वं णमु विडेबियं / सव्वे आभरणा भारा, सव्वे कामा दुहावहा // 16 // बालाभिरामेसु दुहावहेसु, ण तं सुहं कामगुणेसु रायं ! / विरत्तकामाण तवोधणाणं, जं भिक्खुणं सीलगुणे रयाणं // 17 // गरिंद ! जाई अहमा णराणं, सोवागजाई दुहओ गयाणं / जहिं वयं सव्वजणस्स बेस्सा, वसीअ सोवागणिवेसणेसु // 18 // तीसे य नाईइ उ पावियाए, बुच्छामु सोवागणिवेसणेसु / सव्वस्स लोगस्स दुगुंछ णिजा, इहं तु कम्माइं पुरे कडाई // 19 // सो दाणिसिं राय ! महाणुभागो, महिड्डिओ पुण्णफलोववेओ / चइत्तु भोगाइं असासयाई, आदाणहेउं अभिणिक्खमाहि // 20 // इह जीविए राय ! असासयम्मि, धणियं तु पुण्णाई अकुव्वमाणो। से सोयई मच्चुमुहो. वणीए, धम्म अकाऊण परंमि लोए // 21 // जहेह सीहो व मियं गहाय, मच्चू णरं णेइ हु अंतकाले / ण तस्स माया व पिया व भाया, कालग्मि तम्मंसहरा भवति // 22 // ण तस्स दुक्खं विभयंति णाइओ, ण मित्तवग्गा ण सुया ण बंधवा / एक्को सयं पश्चणुहोइ दुक्खं, कत्तारमेव अणुजाइ कम्मं // 23 // चिच्चा दुपयं च चउप्पयं च, खेत्तं गिहं धणधण्णं च सव्वं / सकम्मबीओ अवसो पयाइ, परं भवं सुंदर पावगं वा // 24 // तं एक्कगं तुच्छसरीरंग से, चिईगयं दहिय उ पाबगेणं /