________________ 1084 अनंगपविट्ठसुत्ताणि सासणं ॥६॥ण मे णिवारणं अस्थि, छवित्ताणं ण विजई। अहं तु आणि सेवामि, इइ भिक्खू ण चिंतए // 7 // (4) उसिणं परियावेणं, परिदाहेण तज्जिए। प्रिंसु वा परियावेणं, सायं णो परिदेवए // 8 // उण्हाहितत्तो मेहावी, सिणाणं णो वि पत्थए / गायं णो परिसिंचेजा, ण वीएजा य अप्पयं // 9 // (5) पुट्ठो य दंसमसएहि, समरे व महामुणी / णागो संगामसीसे वा, सूरो अभिहणे परं // 10 // ण संतसे ण वारेजा, मणं पि ण पओसए / उवेहे ण हणे पाणे, भुंजते मंससोणियं // 11 // (6) परिजुण्णेहिं वत्थेहि, होक्खामि त्ति अचेलए / अदुवां सचेले होक्खामि, इइ भिक्खू ण चिंतए // 12 // एगयाऽचेलए होइ, सचेले यावि एगया। एयं धम्म हियं णच्चा, णाणी णो परिदेवए // 13 // (7) गामाणुगामं रयंतं, अणगारं भकिंचणं / अरई अणुप्पवेसेजा, तं तितिक्खे परीसहं // 14 // अरई पिट्टओ किच्चा, विरए आयरक्खिए / धम्मारामे णिरारम्भे, उवसंते मुणी चरे // 15 // (8) संगो एस मगूमाणं, जाओ लोगम्मि इथिओ / जस्स एया परि. प्रणाया, सुकडं तस्स सामण्णं // 16 // एवमादाय मेहावी, पंकभूया उ इथिओ। णो ताहि विणिहण्णेजा, चरेजऽत्तगवेसए // 17 // .(9) एग एव चरे लाढे, अभिभूय परीसहे / गामे वा णगरे वावि, णिगमे वा रायहाणिए / // 18 // असमाणे चरे भिक्खू , णेव कुज्जा परिग्गहं / असंसत्तो गिहत्थेहि, अणिएओ परिव्वए // 19 // (10) सुसाणे सुण्णगारे वा, रुक्खमूले व एगओ / अकुक्कुओ णिसीएजा, ण य वित्तासए परं // 20 // तत्थ से चिट्ठमाणस्स, उवसम्माभिधारए / संकाभीओ ण गच्छेजा, उद्वित्ता अण्णमासणं // 21 // (11) उच्चावयाहिं सेजाहि, तवसी भिक्खू थामवं / णाइवेलं विहण्णिजा, पावदिट्ठी विहण्णई // 2 // पइरिक्कुवस्सयं ल , कल्लाणमदुव पावयं / किमेगराई करिस्सइ, एवं तत्थऽहियासए // 23 // (12) अक्कोसेजा परे भिक्खु, ण तेसिं पडिसंजले / सरिसो होइ बालागं, तम्हा भिक्खू ण संजले // 24 // सोचाणं फरुसा भासा, दारुणा गामकंटगा। तुसिणीओ उवेहेजा, ण ताओ मणसीकरे // 25 // (13) हओ ण संजले भिक्खू, मणं पि ण पओसए। तितिक्खं परमं णच्चा, भिक्खू धम्मं विचिंतए // 26 // समणं संजयं दंतं, हणिज्जा कोइ कत्थई / णत्थि जीवस्स णासुत्ति, एवं पंहेज संजए / / 27 / / (14) दुकरं खलु भो णिच्चं, अणमारस्स भिवखुणो। सव्वं से जाइयं होइ, णस्थि किंचि अजाइयं // 28 // गोयरग्गपविट्ठस्स, पाणी णो सुम्पसारए / सेओ अगारवासुत्ति, इइ भिक्खू