________________ . दसवेयालियसुत्तं अ. 9 उ. 3 1073 कारणा / सक्कारंति णमंसंति, तुट्ठा णिद्देसवत्तिणो // 15 // किं पुण जे सुयग्गाही, अणंतहियकामए / आयरिया जं वए भिक्खू , तम्हा तं णाइवत्तए / 16 / / णीयं सिज्ज गई ठाणं, णीयं च आसणाणि य / णीयं च पाए वंदिज्जा, णीयं कुजा य अंजलिं // 17 // संघट्टइत्ता कारण, तहा उवहिणामवि। "खमेह अवराह मे" वइज "ण पुणु" त्ति य // 18 // दुग्गओ वा पओएणं, चोइओ वहइ रहं / एवं दुबुद्धि किच्चाणं, वुत्तो वुत्तो पकुव्वइ // 19 // आलते लवते वा, ण णिसिजाए पडिस्सुणे / मुत्तूणं आसणं धीरो, सुस्सूसाए पडिस्सुणे // 20 // कालं छंदोवयारं च, पडिले हित्ताण हेउहिं / तेहिं तेहिं उवाएहि, तं तं संपडिवायए // 21 // विवत्ती अविणीयस्स, संपत्ती विणीयस्स य / जस्सेयं दुहओ णायं, सिक्ख से अभिगच्छइ // 22 // जे मावि चंडे मइइडिगारवे, पिसुणे गरे साहसहीणपेसणे / अदिट्टधम्मे विणए अकोविए, असंविभागीण हु तस्स मुक्खो // 23 // णिद्देसवत्ती पुण जे गुरूणं, सुयत्थवम्मा विणयंमि कोविया / तरित्तु ते ओहमिणं दुरुत्तरं, खवित्तु कम्मं गइ मुत्तमं गया // 24 // त्ति-बेमि // इति विणयसमाहिणामणवमज्झयणे बीओ उद्देसो समत्तो // 9-2 // अह णवमज्झयणे तइओ उद्देसो आयरियग्गिमिवाहियग्गी, सुस्सूसमाणो पडिजागरिजा / आलोइयं इंगियमेव णच्चा, जो छंदमारायई स पुज्जो // 1 // आयारमट्ठा विणयं पउंजे, सुस्सूसमाणो परिगिज्झ पक्कं / जहोवइटें अभिकंखमाणो, गुरुं तु णासाययई स पुज्जो // 2 // राइणिएसु विणयं पउंजे, डहरा वि य जे परियायजिट्ठा / णीयत्तणे वट्टइ सच्चवाई, ओवायवं वककरे स पुज्जो॥३॥ अण्णायउंछं चरई विसुद्धं, जवणट्टया समुयाणंच णिच्चं / अलधुयं णो परिदेवइजा, लधु ण विकत्थयई स पुज्जो // 4 // संथारसिजाऽऽसणभत्तपाणे, अप्पिच्छया अइलाभे वि संते / जो एबमप्पाणभितोसइजा, संतोसपाहण्णरए स पुज्जो // 5 // सक्का सहेउं आसाइ कंटया, अओमया उच्छया गरेणं। अणासए जो उ सहिज कंटए, बईमए कण्णसरे स पुज्जो // 6 // मुहुत्तदुक्खा उ हवंति कंटया, अओमया ते वि तओ सुउद्धरा / वायादुरुत्ताणि दुरुद्धराणि, वेराणुबंधीणि महब्भयाणि // 7 // समावयंता वयणाभिघाया, कण्णं गया दुम्मणियं जणंति / धम्मुत्ति किच्चा परमग्गसूरे, जिइंदिए जो सहई स पुज्जो // 8 // अवण्णवायं च